1984 के सिख विरोधी दंगे, जिन्हें 1984 के सिख नरसंहार के नाम से भी जाना जाता है, भारत में सिखों के खिलाफ हुए हमलों की एक श्रृंखला थी जिसे सिख अंगरक्षकों द्वारा इंदिरा गांधी की हत्या की प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जाता है। इन दंगो में कथित तौर पर कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं का हाथ था क्यूंकि ये कांग्रेस की सबसे सशक्त महिला की हत्या की प्रतिक्रिया थी।

राजीव गांधी, जिन्होंने अपनी मां की मौत के बाद प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली थी, से जब पुछा गया के उनका 1984 के सिख दंगो के विषय में क्या कहना है तो उन्होंने कहा था के “जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती है”

हाल ही में लंदन के दौरे में राहुल गांधी ने 1984 के सिख दंगों के मुद्दे को फिर से शुरू कर दिया था

मुख्य भारतीय जांच एजेंसी, केंद्रीय जांच ब्यूरो का मानना ​​है कि दिल्ली पुलिस और कुछ केंद्रीय सरकारी अधिकारियों के समर्थन से हिंसा का आयोजन हुआ था।

2011 विकीलीक्स के जारी किये हुए दस्तावेज़ों के अनुसार अमेरिका सिख दंगों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जटिलता से आश्वस्त था और इसे सिखों के प्रति कांग्रेस सरकार का “अवसरवाद” और “घृणा” माना गया।

पर हाल ही में इंग्लैंड के लंदन में हुए सांसदों और नेताओं से वार्ता में राहुल गाँधी ने 1984 दंगों का मुद्दा फिर से उठाते हुए यह बयान दिया के कांग्रेस का उन दंगो में कोई हाथ नहीं था।

1984 के दंगे

1984 के दंगे भारत के इतिहास में हुए कुछ ऐसे दंगों में से है जिसने भारतीयों को झकझोर के रख दिया था। पूरे के पूरे परिवार दंगों के दंश को झेलते हुए ख़त्म हो गये थे।और जो बचे वो आज भी उस मंज़र को याद कर सिहर उठते हैं।

1984 के विरोधी सिख दंगों भारत के इतिहास में सबसे खराब दंगों में से एक थे

साल 2000 में बने नानावटी आयोग को राज्यसभा में पारित प्रस्ताव द्वारा नियुक्त किया गया था। इस कमीशन की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीटी नानावटी ने की थी।

कमीशन ने फरवरी 2004 में अपनी रिपोर्ट दी। आयोग ने बताया कि पीड़ितों और गवाहों के बयानों से “संकेत मिलता है कि स्थानीय कांग्रेस के नेताओं और श्रमिकों ने या तो सिखों पर हमला करने में लोगों को उत्तेजित किया या मदद की थी।”

इस ही रिपोर्ट में जगदीश टाइटलर के खिलाफ साक्ष्य भी मिला जिससे ये साबित हुआ कि शायद सिखों पर हमलों का आयोजन करने में उनका हाथ था। यह भी सिफारिश की गई कि दंगों में सज्जन कुमार की भागीदारी पर करीब नज़र डालने की आवश्यकता है।

आयोग की रिपोर्ट ने राजीव गांधी और अन्य उच्च रैंकिंग के कांग्रेस पार्टी के सदस्यों को भी सिखों के खिलाफ दंगों के आयोजन में शामिल होने की आशंका जताई। हालांकि, यह पाया गया कि दिल्ली पुलिस ने करीब 392 लोगों को गोली मारी थी, लगभग 372 लोगों को गिरफ्तार किया था, और दंगों में निष्क्रियता दिखते हुए लोगों को सुरक्षा मुहैया नहीं की।


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कांग्रेस नेताओं की माफ़ी

कांग्रेस के शीर्षस्त नेताओं ने कई मौकों पर 1984 के दंगों के लिए माफ़ी मांगी है। और अब, जब ये मुद्दा एक बार फिर उभरा है, तब बीजेपी के नेता ये कह रहे हैं के कांग्रेस नेताओं का माफ़ी मांगना ही इस बात का सबूत है के दंगों में कांग्रेस नेताओं का हाथ था।

माफ़ी मांगने वाले नेताओं में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा और राहुल गाँधी की माँ सोनिया गाँधी के अलावा पूर्व प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह भी शामिल हैं।

इंदिरा गांधी को उनके अंगरक्षकों द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार की प्रतिक्रिया के रूप में मारा गया था

2005 में सिख समुदाय की भावनाओं को समझने की मांग करते हुए प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने 1984 के सिख हिंसा के लिए माफ़ी मांगी और कहा कि वह किसी भी ‘झूठी प्रतिष्ठा’ में नहीं मानते और अपना सर झुका लिया। यह उन्होंने नानावटी आयोग की रिपोर्ट पर राज्यसभा में विपक्षी प्रायोजित प्रस्ताव पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा और ये भी माना कि उन्हें देश से क्षमा मांगनी चाहिए। उन्होंने आगे तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को ‘महान राष्ट्रीय त्रासदी’ के रूप में वर्णित करते हुए कहा के ‘बाद में जो हुआ वह उतना ही शर्मनाक था’।

एक अलग मौके पर सोनिया गाँधी ने भी देश से 1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए माफ़ी मांगी थी। ऑपरेशन ब्लूस्टार की बात करते हुए, 1998 की एक रैली में सोनिया गाँधी ने कहा था “जो कुछ जून 6 को हुआ, उसका मुझे दुःख है”। उन्होंने आगे बोला था के वो उनका दुःख समझ सकती हैं जिन्होंने अपनों को खोया था और कोई भी सांत्वना उस दर्द को काम नहीं कर सकती।

राहुल गाँधी ने क्या कहा

शुक्रवार को ब्रिटेन स्थित संसद सदस्यों और स्थानीय नेताओं के साथ बातचीत में बोलते हुए राहुल ने कहा कि सिख विरोधी दंगे “त्रासदी” और “दर्दनाक अनुभव” थे, लेकिन कांग्रेस उसमे शामिल नहीं थी।

जगदीश टाइटलर एक कांग्रेस पार्टी व्यक्ति था जिस पर 1984 के सिख नरसंहार में मदद करने का आरोप था

“मुझे लगता है कि किसी के खिलाफ किए गए किसी भी हिंसा गलत है। भारत में कानूनी प्रक्रियाएं चल रही हैं, लेकिन जहां तक ​​मेरा सवाल है, उस अवधि के दौरान जो कुछ भी हुआ बो गलत था, वह दंडनीय है और मैं उस दंड का 100 प्रतिशत समर्थन करूंगा। 1984  विरोधी दंगे एक त्रासदी थे, यह एक दर्दनाक अनुभव था। आप कहते हैं कि उसमें कांग्रेस पार्टी शामिल थी, मैं उससे सहमत नहीं हूं। निश्चित रूप से हिंसा हुई थी, निश्चित रूप से त्रासदी हुई थी। “ यह था राहुल गाँधी का कहना।

यह माना जा रहा है के 1984 दंगों में कांग्रेस की संलिप्तता पर बात करके राहुल गाँधी ने अपने लिए एक नयी परेशानी खड़ी कर ली है। विरोधी पार्टियां, जैसे शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी अब राहुल गाँधी और कांग्रेस को इस बयान पर घेर रही हैं।

अब ये देखने वाली बात होगी के पुराने बयानों के आगे इस नए बयान पर कांग्रेस कैसे अपना बचाव करेगी।


IMAGE SOURCES: GOOGLE IMAGES

SOURCES: INDIAN EXPRESS, REDIFF.COM, THE HINDU


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