दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया आदि जैसे एशियाई देश वित्तीय संकट से प्रभावित हैं। यह विकासात्मक गतिविधियों के कारण था जो अंततः एक बड़े बैंक ऋण और फिर वित्तीय संकट का कारण बना।

अब पाकिस्तान इसकी ज़द में है। पाकिस्तान पर 106.3 बिलियन डॉलर का सकल बाह्य ऋण है और उसके सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 84.8% सार्वजनिक ऋण है।

ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान में अच्छे अर्थशास्त्री नहीं हैं। खुर्शीद अहमद, सरताज अजीज और अब्दुल हाफिज शेख जैसे नामों को सर्वश्रेष्ठ अर्थशास्त्रियों में से एक माना जाता है। फिर भी वे ऋण में डूबे हुए हैं।

आर्थिक परिस्तिथि

सबसे पहली बात, एक पूर्व क्रिकेटर पीएम क्यों है, खासकर जब देश अरबों के ऋण में है? अधिकांश राजनेता जो उस स्तर तक बढ़ जाते हैं, वे या तो बहुत मजबूत आर्थिक पृष्ठभूमि या बहुत मजबूत राजनीतिक पृष्ठभूमि के होते हैं।

हाल ही में पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ लगभग 6 बिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसमें से अधिकांश को पहले उधार लिए गए पैसे को वापिस देने के लिए लिया गया है। पाकिस्तान गहरे ऋण में हैं और फिर वह उन ऋणों को चुकाने के लिए अधिक ऋण ले रहा है। शायद यह बहुत अच्छी रणनीति नहीं है।

जब से नया वित्तीय वर्ष शुरू हुआ है, पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले अपने मूल्य का 1/5 वां हिस्सा खो चुका है और विकास दर 50% से अधिक गति से गिर रही है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति वास्तविक जीडीपी भारत की तुलना में 28% कम है और अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष इस अंतर को कम होता नहीं देख रहा है।


Also Read: Pak PM Imran Khan Wants Pakistanis To Stand For 30 Mins Every Week To Recite Prayers For IOK Kashmiris


सैन्य परिप्रेक्ष्य

सीमा पर गोलाबारी में पैसा बर्बाद करना और आतंकवादी गतिविधियों को वित्तपोषित करना गैर-विकासात्मक गतिविधि का एक बड़ा हिस्सा है जिसका उल्लेख मैंने पहले करा।

पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल पर हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा हटा लिया। मूल रूप से इसका मतलब है की पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था को विकसित करने की कोशिश करने में अधिक परेशानी होगी। पाकिस्तान से आयात होने वाले सभी उत्पादों पर सीमा शुल्क अब 200% है।

भारतीय राजनेता भी हमारे पड़ोसी की समस्याएं बढ़ने के लिए सिंधु संधि को तोड़े बिना सिंधु नदी के अधिकांश पानी को भारत में मोड़ने की योजना बना रहे हैं।

अगर सेना ने बेहतर विकल्प बनाए होते तो ये परिणाम सामने नहीं आते।

मैं हमेशा मानती हूं कि एक देश अपने लोगों की तरह ही अच्छा होता है। यदि वे अच्छी स्थिति में रहते हैं, तो वे बेहतर काम करना चाहेंगे। पाकिस्तान की प्रमुख आय आईटी, रियल एस्टेट और कृषि के माध्यम से है।

लेकिन कुल मिलाकर जनता का रहन-सहन बहुत अच्छा नहीं है। आय तभी बढ़ेगी जब लोग देश में रहने के बारे में अच्छा महसूस करेंगे।

अर्थशास्त्रियों, रणनीतिकारों, सेना और पाकिस्तान के नेताओं को वास्तव में बेहतर निर्णय लेने की आवश्यकता है।


Image Sources: Google Images

Sources: Economic Times, The WireBusiness Standard

Originally Written In English By @som_beingme

Translated by @innocentlysane


You’d Also Like To Read:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here