रविवार शाम को मेरे खून खौल उठा जब घर आकर मुझे जामिया मिलिया इस्लामिया में पुलिस द्वारा हुई  बर्बरता के बारे में पता चला।

टीवी पर दिखा रहे थे के एक चोटिल छात्र बेहोश था। एक और अपने जीवन के लिए भाग रहा था। कुछ लोग टेबल के नीचे और कुछ अपने हॉस्टल में छिपे हुए थे क्योंकि उन्हें डर था कि उन्हें पीटा जाएगा और हिरासत में लिया जाएगा।

दिल्ली की एक छात्रा के रूप में मुझे यह दृश्य देख के बुरा लगा और घृणा हुई उन सिद्धांतों से जो हमें एक सभ्य समाज में रहना सिखाते हैं और कहते हैं के शांतिपूर्ण असंतोष लोकतंत्र को मज़बूत करता है।

मैंने हमेशा महसूस किया कि सिद्धांत में हम जो अध्ययन करते हैं और वास्तविक जीवन में क्या होता है, उसके बीच एक बड़ा अंतर है। हालाँकि, मैंने जो जामिया के विषय में देखा, वह एक बड़ी सैद्धांतिक हानि है।

छात्रों द्वारा विरोध का एजेंडा

यदि संसद का मानसून सत्र अनुच्छेद 370 के विवादास्पद निरस्तीकरण की वजह से चर्चा में रहा, तो शीतकालीन सत्र कैसे पीछे रह सकता है?

9 दिसंबर 2019 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने निचले सदन में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) पेश किया।

सीधे शब्दों में कहें तो बिल भारत के तीन पड़ोसी देशों, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति देता है, अगर वे 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आ गए थे।

बिल में स्पष्ट रूप से हिंदू, बौद्ध, सिख, पारसी, जैन और ईसाई शामिल हैं और इसलिए यह मुस्लिम आप्रवासियों को नागरिक कहलाने का अधिकार नहीं देते हैं क्योंकि वे इन तीनों पड़ोसी देशों में बहुमत का हिस्सा हैं।

यह सीधे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के साथ संघर्ष में है जो कानून के तहत सभी को समानता प्रदान करता है।

12 दिसंबर 2019 को लोकसभा और राज्यसभा दोनों द्वारा पारित होने के बाद विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और एक अधिनियम में बदल गया।

जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र, जो एक प्रतिष्ठित विविधता है, जहां अधिकांश छात्र मुस्लिम हैं, इस अधिनियम के खिलाफ विरोध किया क्योंकि यह इस राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के खिलाफ है।

छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर में अपना विरोध शुरू किया और इसे जंतर मंतर पर समाप्त करने की योजना बनाई, जो दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के लिए नामित क्षेत्र है।

हालांकि, उनके विरोध को हिंसा और बर्बरता द्वारा दबा दिया गया।

दिल्ली पुलिस द्वारा बर्बरता

जिस दिन जामिया वाला किस्सा हुआ उसी दिन शाम 5 बजे दक्षिण दिल्ली में कुछ लोग दिल्ली पुलिस से भिड़ गए और कुछ निजी वाहनों के साथ तीन बसों में आग लगा दी। जवाब में पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया।

प्रदर्शनकारियों का यह समूह जामिया के छात्रों से अलग था, जिनका विरोध शांतिपूर्ण और अहिंसक था।

हालांकि, पुलिस ने 5:30 बजे विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश किया और छात्रों के साथ मारपीट की।

उन्होंने रीडिंग हॉल के अंदर आंसू गैस के गोले दागे और पूरे परिसर में छापा मारा। शाम 7 बजे तक वे सभी उन छात्रों पर हमला कर रहे थे जो परिणामस्वरूप घायल हो गए थे।

कुछ छात्र अपने छात्रावासों में भाग गए और बचने के लिए रोशनी बंद कर दी।

https://twitter.com/kunalmajumder/status/1206201133691285504

पुलिस के अनुसार, छात्रों द्वारा उन पर पत्थर फेंकने के बाद उन्होंने जवाबी कार्रवाई की। हालांकि, छात्रों का आरोप है कि पुलिस की कार्रवाई गंभीर थी और इसके अलावा, जो लोग विरोध का हिस्सा नहीं थे वे भी अराजकता में फंस गए।

7:30 बजे पुलिस ने उन छात्रों को हिरासत में लिया, जिन्होंने बार-बार चेतावनी के बाद भी तितर-बितर होने से इनकार कर दिया था।

बाद में हिरासत में लिए गए छात्रों को अगले दिन सुबह 3:30 बजे रिहा किया गया।

विश्वविद्यालय के मुख्य प्रॉक्टर ने रिकॉर्ड पर कहा है कि पुलिस ने बिना अनुमति के परिसर में प्रवेश किया और छात्रों पर बेरहमी से हमला किया।


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मैं छात्रों के साथ एकजुटता में क्यों खड़ी हूँ

पुलिस हमें उन सभी तत्वों से बचाने के लिए है जो हमारे लिए खतरा पैदा करते हैं। यदि सुरक्षाकर्मी अपराधियों में बदल जायेंगे तो हम कहाँ जाएँ?

छात्रों को अपनी राय देने का पूरा अधिकार है, विशेष रूप से एक ऐसे अधिनियम के खिलाफ जो संभवतः किसी धार्मिक समुदाय को हाशिए पर ला सकता है।

एक शांतिपूर्ण विरोध हमेशा शक्तियों को यह बताने का एक अच्छा माध्यम रहा है कि वे क्या चाहते हैं या उन्हें कौनसी योजनाएं अस्वीकार्य है।

दिल्ली पुलिस सीधे गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करती है। यदि केंद्र सरकार असंतोष की आवाज़ों के खिलाफ हिंसा और क्रूरता का उपयोग करने की अनुमति देती है, तो यहां संविधान को रौंदा रहा है। यह वही संविधान है जिसकी सुरक्षा की हमारे मंत्री शपथ लेते हैं।


Sources: The Economic TimesIndia TodayNDTV

Image Credits: Google Images, Twitter

Written Originally In English By: @thinks_out_loud

Translated In Hindi By: @innocentlysane


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