बड़े व्यवसायों के इर्द-गिर्द हमेशा से चर्चा होती रहती है। लोग मानते हैं कि इन व्यवसायों में पैसा लगाना समझदारी भरा है। लेकिन क्या यह हमेशा सही होता है?
अश्वथ दामोदरन, जो वित्तीय सेवाओं पर लिखते हैं और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय (एनवाईयू) के स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में कॉर्पोरेट वित्त और मूल्यांकन के प्रोफेसर हैं, ने स्विगी के आईपीओ की चर्चा को लेकर भ्रम को तोड़ा है।
क्या ऑनलाइन फूड डिलीवरी की दिग्गज कंपनी स्विगी का आईपीओ आपके पैसे के लायक है? इससे जुड़े जोखिम क्या हैं? और किन अन्य बातों पर आपको ध्यान देना चाहिए? यहां इस पूरी स्थिति का विश्लेषण प्रस्तुत है।
स्विगी आईपीओ के चारों ओर क्या है चर्चा?
2014 में स्थापित स्टार्टअप स्विगी ने विस्तार और तकनीकी उन्नति के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से आईपीओ की ओर रुख किया है।
आईपीओ, या आरंभिक सार्वजनिक पेशकश, तब होती है जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर जनता को बेचती है। इससे कंपनी को पैसे जुटाने में मदद मिलती है जिसका इस्तेमाल व्यापार का विस्तार करने, नई परियोजनाएँ शुरू करने या कर्ज चुकाने जैसी चीज़ों के लिए किया जा सकता है। जब लोग ये शेयर खरीदते हैं, तो वे कंपनी के हिस्सेदार बन जाते हैं। अगर कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो शेयरधारक पैसे कमा सकते हैं, लेकिन अगर कंपनी अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है, तो उन्हें पैसे का नुकसान हो सकता है। इसलिए, आईपीओ के माध्यम से किसी कंपनी में निवेश के अपने जोखिम होते हैं।
कंपनी के आईपीओ की चर्चा निवेशकों के दीर्घकालिक सफलता और संभावित लाभप्रदता को लेकर आशावाद से जुड़ी है। चूंकि स्विगी पहली बार सार्वजनिक हो रही है, इसलिए वर्तमान आईपीओ उच्च उम्मीदों पर खरा उतरेगा या नहीं, इस पर अनुमान लगाना कठिन है। इसके अलावा, ब्रांड का नाम भी एक कारण है कि लोग इसमें दांव लगाने को तैयार हैं, चाहे इसके साथ जुड़े जोखिम भी हों।
स्थिति का विश्लेषण कर रहे विशेषज्ञ भी सतर्क हैं। अरिहंत कैपिटल के रिसर्च प्रमुख, अभिषेक जैन ने कहा, “स्विगी के लिए, अगले कुछ वर्षों में लाभप्रदता असंभव हो सकती है, खासकर एक समेकित आधार पर। कंपनी का त्वरित वाणिज्य व्यवसाय अभी तक मजबूत प्रदर्शन नहीं दिखा पाया है, और सभी खंडों में लाभप्रदता प्राप्त करने में समय लग सकता है।”
इसके अलावा, स्विगी लगातार ग्राफ में ऊपर की ओर नहीं बढ़ा है। यद्यपि इसने पिछले दो वित्तीय अवधियों में अपने राजस्व को 11,000 करोड़ रुपये से अधिक तक दोगुना कर दिया है, लेकिन इस वर्ष 2,350 करोड़ रुपये का घाटा है।
वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के निदेशक, क्रांति बाथिनी ने कहा, “स्विगी के पास लाभप्रदता की स्पष्ट राह नहीं है और इसकी वृद्धि संभावनाएँ अनिश्चित हैं, जिससे निवेशक सतर्क हैं और प्रतीक्षा और निगरानी के दृष्टिकोण को अपना रहे हैं।”
वेल्थ विजडम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और प्रबंध निदेशक कृष्णा पटवारी ने कहा, “स्विगी का आईपीओ नए विकास की संभावनाओं को खोल सकता है, विशेष रूप से इसके बास्केट साइज विस्तार और डार्क स्टोर पदचिह्न के माध्यम से, लेकिन इसकी लाभप्रदता की राह पर सवाल बने हुए हैं।” उन्होंने आगे कहा, “इसलिए, लिस्टिंग लाभ की तलाश कर रहे निवेशकों को स्विगी आईपीओ से दूर रहना चाहिए।”
कंपनी के घाटे में होने के कारण, ट्रेडिंग और निवेश प्लेटफॉर्म, सैमको सिक्योरिटीज ने निवेशकों को स्विगी की मौजूदा वित्तीय स्थिति में सुधार तक प्रतीक्षा करने की सलाह दी है।
कंपनी ने कहा, “वित्तीय वर्ष 2024 तक, स्विगी घाटे में है, इसके विपरीत, इसका प्रतियोगी जोमैटो हाल ही में लाभप्रदता प्राप्त कर चुका है। हम निवेशकों को तब तक इस आईपीओ से दूर रहने की सलाह देते हैं जब तक कंपनी की वित्तीय स्थिति और वृद्धि दृष्टिकोण में सुधार नहीं हो जाता। स्विगी में निवेश के लिए तब तक प्रतीक्षा करना जब तक कि यह बेहतर वित्तीय परिणाम और स्थायी वृद्धि की स्पष्ट राह नहीं दिखाता, एक अधिक विवेकपूर्ण निवेश दृष्टिकोण होगा।”
क्या यह चर्चा वाकई मूल्यवान है?
अस्वाथ दमोडरन, जिन्हें “डीन ऑफ वैल्यूएशन” भी कहा जाता है, ने द इंडिया ओप्पोर्तुनिटी, एक पॉडकास्ट जिसमें निवेशकों, संस्थापकों और क्रिएटर्स के साथ भारत की संभावनाओं पर चर्चा होती है, में कहा कि स्विगी का आईपीओ किसी भी फूड डिलीवरी ऐप पर केवल एक दांव नहीं है बल्कि हमारे देश के आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है।
होस्ट श्रृष्टि साहू के साथ बातचीत करते हुए, दमोडरन ने कहा, “स्विगी के साथ, मैं उन्हीं निर्धारकों को देखूंगा … यह भारत के विकास पर एक संयुक्त दांव है, क्योंकि, चलिए मान लें, बिना भारत के अपनी आय में वृद्धि किए, रेस्तरां पैसा नहीं कमा पाएंगे, और बिना रेस्तरां के, आपको रेस्तरां डिलीवरी नहीं मिलेगी।”
उन्होंने जोमैटो जैसे अन्य कारकों पर भी प्रकाश डाला, जो एक अन्य फूड डिलीवरी ऐप है, यह कहते हुए कि दोनों कंपनियाँ “टाइम आर्बिट्राज” मॉडल पर काम कर रही हैं, जो एक ट्रेडिंग रणनीति है जो दीर्घकालिक दृष्टिकोण को न दर्शाने वाले अल्पकालिक मूल्य परिवर्तनों का लाभ उठाती है।
“जोमैटो इस लॉजिस्टिक्स समस्या को आर्बिट्रेट कर रहा है और स्विगी भी कर सकता है,” उन्होंने कहा, यह जोड़ते हुए कि कंपनियाँ भारत में शहरी अवसंरचना चुनौतियों का सामना कर रही हैं, जिसके कारण साधारण काम भी समय लेने वाले हो रहे हैं।
‘क्विक कॉमर्स’ के इर्द-गिर्द की चर्चा के बारे में, जिसमें सामान को बहुत कम समय में ग्राहकों तक पहुँचाया जाता है, दमोडरन ने संदेह व्यक्त किया और कहा, “मैं कभी भी उन शब्दों को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं होता जो उभरते हैं, जैसे कि क्विक कॉमर्स।”
उन्होंने इन कंपनियों द्वारा उठाए जा रहे अन्य कार्यों, जैसे कि चल रहे ऑफर के साथ रेस्तरां की खोज करने की सुविधा या भोजन के अलावा अन्य चीजें जैसे कि पार्सल और अन्य वस्तुओं की डिलीवरी को भी लाभकारी पाया। “लेकिन अगर स्विगी और जोमैटो का एक फायदा है, तो वह उनका मौजूदा प्लेटफॉर्म है। उनके पास पहले से ही ड्राइवर हैं, और उनके मॉडल का विस्तार करना—ड्राइवरों को ग्रॉसरी या यहाँ तक कि लॉन्ड्री उठाने के लिए कहना—उनके काम का एक विस्तार है,” उन्होंने कहा।
Read More: Shocking Stories Of Exploitation Revealed By The Delivery Boys Of Zomato, Swiggy
आगे का रास्ता
अस्वाथ दमोडरन ने पॉडकास्ट में उपभोक्ताओं के हमेशा के सवाल ‘स्विगी या जोमैटो’ का भी जवाब दिया। उन्होंने “कीमत” और “मूल्य” के बीच का अंतर स्पष्ट करते हुए कहा, “अगर आप मुझसे पूछें कि क्या स्विगी को कम मल्टीपल पर ट्रेड करना चाहिए? तो मैं कहूँगा, हाँ। जोमैटो अपने जीवन चक्र में आगे है और उसने दिखाया है कि वह घाटे से मुनाफे में बदल सकता है, जबकि स्विगी ने ऐसा नहीं किया है।” कम मल्टीपल पर ट्रेड करने का अर्थ है कि कंपनी की कीमत उसकी कमाई से कम है।
इसके अलावा, उन्होंने लोगों को सुझाव दिया कि वे केवल वर्तमान स्थिति पर निर्भर न रहें और बातों के पीछे का मतलब समझें।
“वर्तमान आंकड़ों से आगे देखें। आप पिछले वर्ष का वित्तीय विवरण नहीं खरीद रहे हैं… आप संभावनाओं को खरीद रहे हैं, यह उम्मीद करते हुए कि भारत के बुनियादी ढांचे की समस्याएं गायब नहीं होंगी, और ये कंपनियाँ इसका लाभ उठाकर पहले बढ़त हासिल करेंगी,” उन्होंने यथार्थवादी अपेक्षाओं के महत्व पर जोर दिया।
जोमैटो और स्विगी के आईपीओ के बीच भी कड़ी प्रतिस्पर्धा है। विशेषज्ञ जोमैटो को अधिक स्थिर मानते हैं क्योंकि यह वर्तमान में राजस्व और मुनाफे में आगे है, जबकि स्विगी घाटे में चल रही है। जहाँ जोमैटो को बड़े बाजार हिस्सेदारी और शेयरों में वृद्धि का लाभ है, वहीं स्विगी इस आईपीओ के बाद धन को पुनर्निर्देशित करके विस्तार कर सकती है, जिससे वह एक मजबूत प्रतियोगी बन सकती है।
“स्विगी को जोमैटो सहित अन्य प्रतिस्पर्धियों से कड़ी टक्कर मिल रही है। स्विगी खाद्य वितरण में लगभग 45% बाजार हिस्सेदारी रखती है, लेकिन त्वरित वाणिज्य में केवल लगभग 25%। इसलिए, स्विगी की लाभप्रदता की राह को लेकर अनिश्चितता है। जोमैटो साबित पैमाने और मुनाफे के साथ ठोस मेट्रिक्स, जैसे कि कुल ऑर्डर मूल्य (जीओवी) और औसत ऑर्डर मूल्य (ऐओवी) प्रदान कर रहा है, जो इसे अल्पावधि में अधिक स्थिर विकल्प बनाता है,” चॉइस ब्रोकिंग के सहायक उपाध्यक्ष, जतिन कैथावालप्पिल ने कहा।
स्विगी ने अपने हिस्से के नुकसान और उतार-चढ़ाव झेले हैं। यही कारण है कि उसने एक आईपीओ का विकल्प चुना है, जिसे तकनीकी निवेश और ब्रांड विस्तार के लिए वित्त पोषण के लिए मामूली प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।
Sources: Business Today, NYU, MSN
Originally written in English by: Unusha Ahmad
Translated in Hindi by Pragya Damani
This post is tagged under: swiggy, zomato, corporate finance, NYU, Aswath Damodaran, dean of valuation, infrastructure, India, expectations, financial, statements, IPO, brand expansion, technology, investments, price, value, quick commerce, time arbitrage model, Stern School of Business, business, New York University, investors, founders, creators, The Indian Opportunity, podcast, infrastructure, capital, Shrishti Sahu
Disclaimer: We do not hold any right, or copyright over any of the images used, these have been taken from Google. In case of credits or removal, the owner may kindly mail us.
Other Recommendations:
THIS COMPANY HAS JOINED SWIGGY & ZOMATO IN OFFERING PERIOD LEAVES FOR FEMALE EMPLOYEES