‘मैं अच्छे और बुरे समय में, बीमारी में और स्वास्थ्य में तुम्हारा साथ निभाने का वादा करता हूं। मैं तुमसे प्यार करता रहूँगा और मेरे जीवन के हर दिन मैं तुम्हारा सम्मान करुँगा, इस दिन से, अच्छे में, बुरे ,में, अमीरी में, गरीबी में, बीमारी में और स्वास्थ्य में, जब तक मृत्यु हमें अलग नहीं कर देती।’
क्या आप अपना पूरा जीवन किसी के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं?
यह सुनिश्चित करने के लिए कि ये शादी के सारे वचन पूरे हों, इंडोनेशियाई सरकार उन जोड़ों के लिए एक नया ‘प्री-मैरिटल/ शादी-पूर्व’ कोर्स लेकर आई है जो शादी के बंधन में बंधना चाहते हैं।
पाठ्यक्रम के बारे में विवरण
मानव विकास और सांस्कृतिक मामलों (पीएमके) के समन्वयक मंत्री महादजिर इफेंदी ने कुछ समय पहले पाठ्यक्रम की घोषणा की। यह पाठ्यक्रम 2020 तक लागू हो पायेगा।
एफेंदी के अनुसार, “जिस किसी की भी शादी होती है, उसे परिवार और जीवनसाथी के साथ रहने का एक अनुभव होना चाहिए। यह कोर्स यह सुनिश्चित करेगा कि इसमें शामिल सभी पक्ष आवश्यक ज्ञान को समझें, फिर उन्हें एक प्रमाणपत्र प्राप्त होगा ”।
3 महीने का यह मुफ्त कोर्स उन सभी जोड़ों के लिए अनिवार्य होगा जो शादी करना चाहते हैं और इसकी कक्षाएं पीएमके, धर्म मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा डिजाइन की जाएंगी।
जो जोड़े पाठ्यक्रम पूरा करने में असफल होंगे या इसे लेने से इनकार करते हैं, उन्हें शादी करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इसकी आवश्यकता क्यों है?
शादी के कुछ पहलुओं से निपटने में बड़ी संख्या में जोड़े अशिक्षित हैं। वे प्रजनन स्वास्थ्य, घर का प्रबंधन, एक पति या पत्नी का समर्थन कैसे करें, आदि के बारे में अनभिज्ञ हैं।
कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य, परिवार के सभी सदस्यों की देखभाल करना विशेष रूप से अगर कोई बीमार है, घरेलू अर्थशास्त्र, प्रजनन, आदिके बारे में लोगों को शिक्षित करना है।
कक्षाओं में भाग लेने के बाद ही जोड़ों को प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।
मुहाजिर कहते हैं, “प्रमाण पत्र यह सुनिश्चित करने के लिए प्रमाण के रूप में कार्य करता है कि जोड़े को संबंधित मामलों के बारे में पर्याप्त जानकारी है”
स्वास्थ्य मंत्रालय की सार्वजनिक स्वास्थ्य की महानिदेशक किरण प्रीतिसारी ने कहा कि यह कार्यक्रम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि विवाहिक जीवन को संभालने के लिए और माता-पिता बनने के लिए दोनों पक्ष भावनात्मक और शारीरिक रूप से तैयार हैं।
यह पाठ्यक्रम जोड़ों की अनुकूलता का परीक्षण करने में मदद कर सकता है।
क्या यह अनिवार्य होना चाहिए?
संसद सदस्य ऐस हसन सियादिली, जो धार्मिक और सामाजिक मामलों के आयोग के लिए ज़िम्मेदार हैं, ने सरकार को आगाह किया कि यह कार्यक्रम लोगों के लिए शादी को मुश्किल बना देगा।
इंडोनेशियाई उलेमा काउंसिल (MUI), देश की शीर्ष लिपिक संस्था, नीति का समर्थन करने के लिए तैयार है जब तक कि यह धर्म के लिए एक बाधा नहीं बन जाती। उनके अनुसार, लोगों को ऐसी नीतियों से प्रभावित और बोझिल नहीं होना चाहिए।
एमयूआई के महासचिव अनवर अब्बास ने कहा, “अगर लोग शादी करने से बहुत डर गए तो वे विवाहेतर संबंध बनाएंगे”।
इसे अनिवार्य बनाना कुछ हद तक कठोर है। विवाह और रिश्ते काफ़ी बारीक होते हैं। तीन महीने का कोर्स आपके पूरे भविष्य का निर्धारण नहीं कर सकता है। यह देखना होगा कि क्या जो जोड़े पहली बार में विफल होते हैं उन्हें दूसरा मौका दिया जायेगा?
क्या हमें भारत में ऐसे कोर्स करने चाहिए?
भारत में यौन शिक्षा की कक्षाएं नहीं होती। लोगों को यौन शिक्षा को समझने के लिए पोर्न साइट्स पर निर्भर रहना पड़ता है और प्रजनन के बारे में कोई उपयोगी जानकारी हासिल करने के लिए यह एक भयानक स्रोत है।
एक शादी-पूर्व कोर्स जो जोड़ों को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के साथ-साथ शादी के विभिन्न परिणामों के बारे में सिखाता है एक बुरा विचार नहीं हो सकता है। जोड़े को एक-दूसरे की जरूरतों के बारे में जानने की जरूरत होती है और यह कार्यक्रम उस संबंध में मददगार हो सकता है।
पश्चिम में, लिव-इन रिलेशनशिप जोड़ों के लिए एक स्वाभाविक कदम है। हालांकि, भारत में, लिव-इन रिलेशनशिप की अवधारणा को वर्जित माना जाता है क्योंकि ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि यह व्यवस्था सिर्फ रिश्तों के यौन पहलू पर आधारित है बल्कि इसके और भी कई फायदे होते हैं।
भारत इस तरह के पाठ्यक्रमों से अपरिचित नहीं है। प्राचीन हिंदू पाठ ‘काम सूत्र’ से हर कोई वाकिफ है। लेकिन ज्यादातर लोग इसे केवल एक सेक्स मैनुअल के रूप में मानते हैं। यह पुस्तक दंपतियों को खुशहाल जीवन जीने के तरीके के बारे में भी बताती है। यह दोनो पत्नि और पति के कर्तव्यों को सूचीबद्ध करता है।
इस तरह का एक कोर्स शादी की विभिन्न जटिलताओं और पेचीदगियों से गुजरने में फायदेमंद हो सकता है।
क्या आपको लगता है कि यह कोर्स एक अच्छा विचार है?
Image Credits: Google Images
Sources: Times Now, Jakarta Post, India Times
Written In English By: @ishitabajpai6
Translated In Hindi By: @innocenlysane
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