पाकिस्तानी सेना कब भारत के साथ शांति स्थापित करने की कोशिश करेगी? शायद कभी नहीं। और क्या भारत इसके बारे में कुछ करने जा रहा है? फिर, शायद कभी नहीं। क्योंकि, आप केवल किसी ऐसे व्यक्ति को समझने की कोशिश कर सकते हैं जो समझने के लिए तैयार है।

भारतीय सेना द्वारा किए गए सबसे हालिया ऑपरेशन के बाद, जिसमें 3 आतंकी लॉन्च पैड उड़ाए गए और 5 पाक सैनिकों की जान भी गई थी, मेरा बस एक ही सवाल था – आतंकवादी लॉन्च पैड के पास पाकिस्तानी सैनिक क्या कर रहे थे?

बिना आगे कुछ ज़्यादा बोले, मैं बताती हूँ के हाल में भारत-पाक के सैन्य सम्बन्ध कैसे रहे हैं।

आईएसपीआर, पाकिस्तानी सेना के जनसंपर्क विंग के निदेशक मेजर जनरल आसिफ गफूर एक और बयान के साथ वापस आ गए हैं, और इस बार हमला सीधे हमारे सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत पर है।

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मेजर जनरल गफूर ने कहा, भारतीय सेना प्रमुख गैर-जिम्मेदाराना बयानों और क्षेत्रीय शांति को खतरे में डालकर बार-बार युद्ध भड़का रहे हैं।

यह बयान जनरल रावत द्वारा पीओके को पाकिस्तान के आतंकवादी-नियंत्रित हिस्से के रूप में चित्रित करने के बाद दिया गया था। हो सकता है कि इसने पाकिस्तानी जनरल को नाराज कर दिया हो, लेकिन जनरल रावत का बयान सही है, इसका सबूत पीओके से उत्पन्न आतंकवादी हमलों के कारण हमारे यहां मारे गए लोगों की लाशें हैं।

सच्चाई हमेशा कड़वी होती है

भारतीय होने के नाते, मैं सभी सैन्य पुरुषों का सम्मान करती हूं, चाहे उनकी राष्ट्रीयता कुछ भी हो। लेकिन भारत के सेना प्रमुख द्वारा दिए गए बयानों पर सवाल उठाने का अधिकार किसी को कैसे मिलता है? वह केवल और केवल भारत के राष्ट्रपति को जवाबदेह है और जब ज़रूरत पड़ी, उन्होंने बखूबी जवाब दिया है।

पाकिस्तानी सैन्य प्रवक्ता यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि उन्हें संदेह है कि जनरल रावत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के नए प्रस्तावित कार्यालय के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं।

मेजर जनरल गफूर ने कहा की जनरल बिपिन रावत द्वारा दिए गए बयान युद्ध को फिर से शुरू करने के इरादों से अत्यधिक भड़काऊ थे, और पेशेवर सैन्य लोकाचार के विरुद्ध थे।

या तो पीओके और पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में बहुत शांतिपूर्ण माहौल है, या मेजर जनरल गफूर को जनरल रावत की तुलना में अधिक ज्ञान है। कम से कम वह तो यही सोचते हैं।

अगर पीओके वास्तव में शांतिपूर्ण था, जैसा कि पाक सेना का दावा है, तो भारतीय सेना को अपने सक्षम लोगों के जीवन को खतरे में डालने और तीन आतंकी लॉन्च पैड को खत्म करने की आवश्यकता नहीं होती। अगर पाकिस्तानी सेना भारतीय सेना के किसी भी आदमी के बारे में बयान देना चाहती है तो वे पहले उससे अपनी सेना के साथ मिलकर आतंकी कम्पों को सुरक्षा देना बंद करना चाहिए।


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 हमारी चुप्पी हमारी कमजोरी नहीं है

भारत एक ऐसा देश है जिसकी सेना ने कभी खुद आगे बढ़ के हमला नहीं करा है और ना ये हमारी नीति है। शायद इसी चीज़ का पाकिस्तानी सैनिकों ने हमेशा फायदा उठाया है।

भारतीय सेना एक नैतिक सेना है, जिसका अर्थ है, वे नैतिकता और मौलिक सिद्धांतों पर चलते हैं। वे अपने देश के लोगों को नुकसान पहुंचाने वाली कोई भी कार्रवाई नहीं करेंगे।

फर्स्ट पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, जनरल रावत ने फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के स्मृति व्याख्यान में अपनी टिप्पणी में कहा, अनुच्छेद 370 वापस लेने के बाद कश्मीर में सामान्य स्थिति को बाधित करने के लिए पाकिस्तान में छिपे हुए आतंकवादी द्वारा कई प्रयास किए गए हैं।

एक बयान को किसी भी समय एक चुनौती के रूप में लिया जा सकता है, और पाकिस्तानी सेना कभी नहीं चाहेगी के उनके सेना प्रमुख द्वारा दिए गए कोई  भी बयान को भारतीय सेना चुनौती के रूप में ले- क्यूंकि उनके लिए ऐसे हानिकारक साबित हो सकता है।

यह लेख किसी भी पाकिस्तानी नागरिक की भावनाओं को आहत करने का इरादा नहीं करता है। यह सिर्फ एक देशभक्त का गुस्सा है क्यूंकि उसके सेना प्रमुख की तरफ किसी ने ऊँगली उठायी। जय हिन्द।


Image Source: Google Images

Sources: FirstPost, Economic Times, Scroll

Originally Written in English By: @som_beingme

Translated in Hindi By: @innocentlysane


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