मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल चुनाव के दूसरे चरण के चुनाव प्रचार के अंतिम दिन, 1 अप्रैल को नंदीग्राम के अपने निर्वाचन क्षेत्र में वोटों के प्रवाह को ढालने की कोशिश में अपने “गोत्र” का खुलासा किया।

ममता बनर्जी ने मंदिरों की अपनी यात्रा के बारे में याद करते हुए कहा, “मैंने एक मंदिर का दौरा किया जहां पुजारी ने मुझसे मेरा गोत्र पूछा। मैंने उन्हें माँ, माटी, मानुष कहा, लेकिन वास्तव में मैं शांडिल्य हूं।” बीजेपी नेताओं का कहना है कि ममता को चुनावी हार और प्रधानमंत्री मोदी से डर लगता है, और इसलिए वह इस तरह की क्षुद्र रणनीति का सहारा ले रही है।

ममता बनर्जी ने क्यों चलाया हिन्दू कार्ड?

ममता बनर्जी ने खुलासा किया कि उनका गोत्र शांडिल्य है, जो आठ शीर्ष ब्राह्मण गोत्रों में से एक है। ऐसा लगता है कि वह इसे हिंदू मतदाताओं तक पहुंचाना चाहती थी, जो जाहिर तौर पर भाजपा प्रत्याशी सुवेंदु अधिकारी की ओर झुक रहे थे।

जब ममता नंदीग्राम में 25 हिंदू मंदिरों का दौरा कर रही थीं, तब भी भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि वह एक नकली हिंदू है क्योंकि वह रामनवमी के जुलूस को निकालने की अनुमति नहीं देती थीं। हालांकि, ममता ने कहा कि वह एक कट्टर हिंदू हैं और उन्होंने कभी भी चंडी पाठ किए बिना घर से बाहर पैर  नहीं रखा। उन्होंने अपने एक अभियान के दौरान चंडी पाठ भी किया।

भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि ममता ने बुधवार को अन्य विपक्षी नेताओं को एसओएस भेजा था, जिसके प्राप्तकर्ता में 14 शीर्ष विपक्षी नेता सोनिया गांधी, फारूक अब्दुल्ला, नवीन पटनायक, वाई एस जगन मोहन रेड्डी, एम के स्टालिन, अखिलेश यादव, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल और अन्य शामिल थे।


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नड्डा के अनुसार, ममता ने अपने संदेश में नेताओं से एकजुट होने और भाजपा को “भारत में एक-पार्टी सत्तावादी शासन स्थापित करने” से रोकने के लिए हाथ मिलाने की अपील की।

हालांकि, ऐसा लगता है कि क्योंकि नंदीग्राम के हिंदू मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए सुवेंदु अधिकारी ने अपनी सभाओं में जय श्री राम के नारे लगाने शुरू कर दिए,  इसका मुकाबला करने के लिए, ममता ने अपने आप को अधिकारी की तुलना में अधिक कट्टर हिंदू के रूप में पेश करने के प्रयास में अपना गोत्र बताया। 

बीजेपी ने ममता बनर्जी को उनके गोत्र के लिए फटकार लगाई

भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने कहा, “दीदी, बस मुझे बताओ, क्या शांडिल्य भी रोहिंग्याओं और घुसपैठियों के गोत्र हैं। ममता दीदी अब डरी हुई हैं, इसलिए कभी वह चुनाव आयोग पर सवाल उठाती हैं, कभी वह सुवेंदु (अधिकारी) जैसे भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला करती हैं और कभी अपने गोत्र का इस्तेमाल करती हैं। लेकिन मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि वह इन चुनावों में हार जाएगी।”

यहां तक ​​कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी ट्विटर पर अपने विचार लिखे और ममता पर कांग्रेस की राजनीति की पुस्तक से चाल का उपयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने ट्वीट किया ”मंदिर दौड़ से लेकर मैं भी हिंदू हूं .. ममता दीदी के गोत्र बोध का कांग्रेस की राजनीति की किताब से पुराना नाता है। वही स्क्रिप्ट, वही डर, वही नफरत !! #इबारबीजेपी  #औरनहींअन्याय”।

वरिष्ठ भाजपा नेता अमित मालवीय, जो पश्चिम बंगाल के पार्टी के उप-प्रभारी भी हैं, ने अपने बयान पर सवाल उठाया। उन्होंने ट्वीट किया, “अगर ममता बनर्जी ने फतवा जारी नहीं किया होता, तो पश्चिम बंगाल में बहुसंख्यक समुदाय के लोगों की आस्था पर कुठाराघात न किया होता, उन्हें उनकी ही भूमि में दूसरे दर्जे के नागरिकों के लिए कम न करवया होता, तो उन्हें नंदीग्राम जाने से ठीक पहले सार्वजनिक रूप से अपना गोत्र बताने की ज़रूरत नहीं होती।”

मुख्यमंत्री की टिप्पणी ने अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का ध्यान भी आकर्षित किया, जिन्होंने ट्वीट किया, “मेरे जैसे लोगों के साथ क्या होना चाहिए जो शांडिल्य या जेनुधरी नहीं हैं, कुछ देवताओं के भक्त नहीं हैं, नहीं चालीसा या कोई भी पाठ करते हैं? हर पार्टी को लगता है कि उसे जीतने के लिए अपनी हिंदू साख दिखानी होगी। असंबद्ध, अपमानजनक और सफल न होने वाले तरीके”।


Image credits: Google images

Sources: The PrintIndia TVTwitter

Originally Written in English By @sejalsejals38

Translated in Hindi By @innocentlysane

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