क्या यह बहुत ही अजीब और भ्रामक स्थिति नहीं है जब आपको कहा जाता है कि आप उन्हीं सिद्धांतों का पालन नहीं करें जो आपको अपने पूरे छात्र जीवन में सिखाए गए थे?
ठीक ऐसा ही कानून के छात्रों के साथ हो रहा है। हाल में हमने प्रमुख कानून संस्थानों में विभिन्न विरोध प्रदर्शनों को देखा है। इन संस्थानों में निम्नलिखित संसथान शामिल हैं।
हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी,
चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी,
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी भोपाल,
एमिटी लॉ स्कूल, दिल्ली
और इस सूची में नवीनतम नाम आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ, मोहाली का है।
आइए इन व्यापक विरोधों के पीछे के कारणों पर एक नज़र डालें।
1. संस्थागत अक्षमता
संस्थागत अक्षमता और मनमाना व्यवहार कॉलेज के छात्रों, विशेष रूप से कानून के छात्रों को रास नहीं आता।
तथ्य यह है कि कानून के छात्रों को हमेशा सर्वश्रेष्ठ शिक्षक नहीं मिलते हैं। जहां तक प्रशासनिक कर्मचारियों का सवाल है, वे ऐसे लोग हैं जो छात्रों के साथ दिन-प्रतिदिन गैर-शैक्षणिक बातचीत करते हैं और आदर्श रूप से छात्रों और प्रशासनिक कर्मचारियों में सौहार्दपूर्ण संबंध होने चाहिए।
हालांकि, प्रशासनिक सदस्यों और छात्रों का शायद ही कभी शांत संबंध होता है और इसके पीछे एक कारण स्टाफ सदस्यों द्वारा की जाने वाली मनमानी है।
ऐसा हो सकता है कि छात्रों के लिए प्रशासनिक कर्मचारियों द्वारा लिए गए निर्णय उन्हें नाराज करते हैं और उसी का एक उदाहरण नैतिक पुलिसिंग हो सकता है।
जब छात्रों की दलीलें अनसुनी हो जाती हैं, तो छात्र अपनी बात को जोर-शोर से और स्पष्ट रूप से सामने रखने के लिए विरोध का सहारा लेते हैं।
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2. फ़ीस वृद्धि
फीस बढ़ोतरी ने न केवल कानून के छात्रों को बल्कि सभी कॉलेजों के छात्रों को प्रभावित किया है।
इस समस्या का सामना बहुत सारे छात्रों को करना पड़ता है और जब अत्यधिक मात्रा में शुल्क का भुगतान करने के बाद भी छात्रों को कई स्तरों पर नुकसान उठाना पड़ता है और यही गुस्सा और नाराज़गी विरोध और अभियान के रूप में सामने आता है।
3. छात्रावास की समस्याएं
मेस का खाना अच्छा नहीं होता यह हम सब जानते हैं और यदि आप एक छात्रावास के कमरे में रहते हैं, तो आप अपने रूममेट के आसपास नहीं होने पर भी अकेले महसूस नहीं करेंगे क्यूंकि कोई न कोई कीड़ा मकोड़ा वहां होगा ही।
इन सभी चीजों से छात्रों को कोई आराम नहीं मिलता है, और जब उन्हें पूरी रात पढ़ाई के लिए ऐसे ही एक कमरे में वापस आना होता है, तो निराशा का स्तर अकल्पनीय होता है।
बार-बार वार्डन और अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचने के प्रयासों के बावजूद जब छात्रों को कोई जवाब नहीं मिलता है तो वे हिंसक और अहिंसक तरीके अपनाते हैं जिससे की कि उनकी मांगों को न केवल अधिकारियों द्वारा, बल्कि जनता द्वारा बड़े पैमाने पर सुना जाए।
4. छात्रों में जागरूकता
यह स्पष्ट है कि जब कानून के छात्रों को कक्षा में कानून के बुनियादी सिद्धांतों के विषय में पढ़ाया जाता है, तो वे अपने कानूनी और संवैधानिक अधिकारों के बारे में जानते हैं और उन्हें न्यायिक अधिकारियों से इन्हे लागू करवाने में संकोच नहीं करते हैं।
उपरोक्त के अलावा, कई अन्य कारण हैं जिनकी वजह से कानून के छात्र विरोध प्रदर्शन करते हैं।
हालांकि, यह विरोध प्रदर्शन निश्चित रूप कॉलेज के काम-काज और पढाई को प्रभावित करते हैं और इस प्रकार छात्रों को हड़ताल से बचना चाहिए और सद्भाव के साथ मुद्दों को हल करने की कोशिश करनी चाहिए।
Image Sources: Google Images
Sources: Bar & Bench, The Quint, Live Law
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