युवाओं को निशाना बनाने वाला ‘रेंट-एन-अकाउंट’ घोटाला क्या है?

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हर दिन एक नया घोटाला सामने आ रहा है। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ती निर्भरता के चलते, अब ठग इन प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स से संपर्क कर उनके अकाउंट्स किराए पर लेने का सौदा कर रहे हैं।

‘रेंट-एन-अकाउंट’ घोटाला कैसे काम करता है?

‘रेंट-एन-अकाउंट’ का विचार नया हो सकता है, लेकिन यह वास्तव में एक वैध व्यवसाय का हिस्सा बताया गया है, जिसमें कंपनियां विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के यूजर्स की असली प्रोफाइल किराए पर लेकर अपने उत्पादों का प्रचार करती हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, यह कुछ देशों में एक “वैध मार्केटिंग व्यवसाय प्रथा” है, जहां कंपनियां यह दावा करती हैं कि इन असली प्रोफाइल्स से सकारात्मक और प्रशंसात्मक संदेश पोस्ट करने से ब्रांड्स की पहुंच और दृश्यता बढ़ सकती है।

हालांकि, अब स्कैमर्स इसी मॉडल का उपयोग करके लोगों को उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स और कभी-कभी बैंक अकाउंट्स से भी धोखा दे रहे हैं।

ये साइबर अपराधी सोशल मीडिया यूजर्स से संपर्क करते हैं, उनसे उनके इंस्टाग्राम, लिंक्डइन और अन्य प्रोफाइल्स किराए पर देने का अनुरोध करते हैं, और इसके बदले में पैसे देने का वादा करते हैं।

एक बार जब वे उन प्रोफाइल्स तक पहुंच प्राप्त कर लेते हैं, तो वे अकाउंट के असली मालिकों को उनके अकाउंट्स से बाहर कर देते हैं और इन अकाउंट्स का उपयोग अन्य घोटालों, गलत सूचना अभियानों, फर्जी पहचान और अन्य उद्देश्यों के लिए करते हैं।

यह प्रक्रिया कैसे होती है:

  1. साइबर अपराधी फेसबुक पोस्ट्स और निजी संदेशों के जरिए असली यूजर्स से संपर्क करते हैं।
  2. वे बातचीत को किसी अन्य प्लेटफॉर्म जैसे टेलीग्राम पर ले जाते हैं, जहां वे यूजर की प्रोफाइल किराए पर लेने की ‘डील’ तय करते हैं और कमीशन का वादा करते हैं।
  3. जैसे ही यूजर अपने लॉगिन क्रेडेंशियल्स साझा करता है, स्कैमर्स उन्हें उनके खुद के अकाउंट से बाहर कर देते हैं।

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इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट ने यह भी बताया कि यूपीआई अकाउंट्स का साइबर फ्रॉड में इस्तेमाल बढ़ रहा है, जहां स्कैमर्स इन “बैंक अकाउंट्स का उपयोग धोखाधड़ी से जुड़े फंड्स को ट्रांसफर करने” के लिए करते हैं। इससे “अधिकारियों के लिए ठगों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है और उन्हें गुमनामी का एक स्तर मिल जाता है।”

यह स्थिति चिंताजनक इसलिए है क्योंकि न केवल किसी के सोशल मीडिया अकाउंट्स ठगी का शिकार हो सकते हैं, बल्कि व्यक्ति को कानूनी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ सकता है।

क्योंकि अकाउंट असली व्यक्ति से जुड़ा रहेगा, जिसमें उनका नाम, ईमेल पता और अन्य जानकारी रजिस्टर होगी, कानून प्रवर्तन एजेंसियां असली साइबर अपराधी की बजाय उस व्यक्ति पर कार्रवाई कर सकती हैं।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ मोहित कुमार ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “स्कैमर्स ऐसे अकाउंट्स का उपयोग गैरकानूनी गतिविधियों के लिए कर सकते हैं, जैसे गलत सूचना फैलाना या दूसरों को ठगना, और यह सब अकाउंट होल्डर पर लोगों के भरोसे का फायदा उठाते हुए किया जा सकता है।”

कुमार ने यह भी बताया कि इस घोटाले को कैसे पहचाना जा सकता है: “कोई भी प्रतिष्ठित कंपनी अपने ब्रांड को प्रमोट करने के लिए आपके लिंक्डइन अकाउंट तक पहुंच की आवश्यकता नहीं बताएगी। वे इसके बजाय सहयोग या एंडोर्समेंट की मांग करेंगे, बिना आपके क्रेडेंशियल्स मांगे।”


Image Credits: Google Images

Sources: India Today, The Hindu, The Economic Times

Originally written in English by: Chirali Sharma

Translated in Hindi by Pragya Damani

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