“बुलबुल हमेशा नहीं गाती, हमेशा के लिए वसंत नहीं रहता और न ही फूल हमेशा के लिए खिलते हैं। हमेशा के लिए खुशी नहीं रहती, आनंद के दिनों का सूरज ढला करता है, दोस्ती हमेशा के लिए नहीं रहती। जो ये नहीं जानते वो जीवन को नहीं जानते।“
–पाकिस्तान को ट्रेन, खुशवंत सिंह
लगभग तीन दशकों तक चले एक राष्ट्रवादी संघर्ष के बाद, अगस्त 1947 में भारत और पाकिस्तान ने आज़ादी जीती और इसी के साथ हुआ भारत-पाकिस्तान का विभाजन। यह यूरोपीय साम्राज्यों के अंत के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण स्थापित करता है।
दुर्भाग्यसे, यह मानव इतिहास में सबसे बड़े जन पलायनों में से एक था जिसमे १ करोड़ लोग प्रभावित हुए थे। दंगों और स्थानीय स्तर की लड़ाई में विशेष रूप से पंजाब के पश्चिमी क्षेत्र में एक करोड़ नागरिकों की मृत्यु हो गई, जिसे दो सीमाओं में बाँट दिया गया।
आइये जाने बटवारे के समय की कुछ ऐसी बातों को जो ज़्यादा लोगों को नहीं पता।
- हालांकि पाकिस्तान और भारत दोनों ने क्रमश: 14 और 15 अगस्त को आजादी हासिल की, लेकिन दोनों देशों की सीमाओं की घोषणा 17 अगस्त को हुई।
जिस व्यक्ति ने भारत और पाकिस्तान के लिए सीमा रेखा तय की थी वह ब्रिटिश वकील और लॉ लॉर्ड सिरिल जॉन रैडक्लिफ था। रैडक्लिफ को भारत के भूगोल के बारे में कोई पूरी जानकारी नहीं थी और विभाजन से पहले वो कभी भारत नहीं आये थे।
उन्होंने दोनों देशों का बटवारा जाति, धर्म और नक्शों के आधार पर कर दिया।
- जम्मू-कश्मीर की रियासत ने अगस्त 1947 तक किस पक्ष में शामिल होने का फैसला नहीं किया था। पाकिस्तान का मानना था कि जम्मू-कश्मीर उनके पक्ष में होना चाहिए क्योंकि इसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम थे। हालांकि, हिंदू महाराजा अंततः अक्टूबर 1947 में भारत में शामिल होने पर सहमत हुए।
कश्मीर हमेशा से एक विवादस्पद हिस्सा रहा है जिसपर हिंदुस्तान और पाकिस्तान, दोनों देशों ने दावेदारी करी थी।आज भी ये भारत-पाकिस्तान के बीच विवाद का मुद्दा है।विभाजन के दौरान ये तय नहीं था के कश्मीर किस देश में जायेगा और इसका फैसला अक्टूबर 1947 में हुआ।
- विभाजन के बाद, पाकिस्तान को भारतीय सेना का 1/3, प्रमुख 6 मेट्रोपॉलिटन शहरों में से 2 और भारतीय रेलवे लाइनों का 40% मिला।
न केवल क्षेत्र और लोगों को विभाजन के दौरान विभाजित किया गया था, लेकिन रेलवे लाइन , रक्षा शक्ति और यहां तक कि किताबों जैसे निर्जीव चीजें भी दोनों देशों में विभाजित की गयी थीं ।
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- पाकिस्तान को एक अलग देश बनाने के पीछे जो व्यक्ति था, मोहम्मद अली जिन्ना, वह खुद को धर्मनिरपेक्ष कहता था ।
भारत पाकिस्तान का धर्म के आधार पर बटवारा करवाने वाला मोहम्मद अली जिन्नाह एक संप्रदायवादी था पर वो सारी ज़िन्दगी खुद को धर्म निरपेक्ष कहता रहा। उसने दोनों देशों के बीच नफरत के बीज बोए पर खुद को पाक साफ़ साबित करता रहा।
- दिल्ली में मुक्त भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रतिष्ठित पूर्व-स्वतंत्रता भाषण दिए जाने के दौरान, वाइसराय लॉर्ड माउंटबेटन फिल्म देख रहे थे।
वह महत्वपूर्ण क्षण जब भारत आज़ादी की ओर अग्रसर था और भारत के पहले प्रधानमंत्री अपना सुप्रसिद्ध भाषण दे रहे थे, उस समय आधिकारिक तौर पर भारत में ब्रिटिश राज का अंत हो गया था।
परन्तुइस चिंता से बेखबर उस समय वाइसराय लॉर्ड माउंटबेटन अपनी पत्नी के साथ बॉब होप की प्रसिद्ध फिल्म ‘माई फेवरेट ब्रुननेट’ देख रहे थे। इसी रवैया से यह साबित होता है के उन्हें भारत और उसके कल्याण से कोई लेना-देना नहीं था।
- 1948 तक पाकिस्तान ने भारतीय मुद्रा बैंक नोट्स का इस्तेमाल किया।
1948 तक पाकिस्तान ने भारतीय रिज़र्व बैंक नोट्स का इस्तेमाल किया। बस पाकिस्तान में जाने वाले नोटों पर ‘पाकिस्तान’ मुद्रित होते था । यह इसलिए था क्यूंकि पाकिस्तान के पास अपना कोई रिज़र्व बैंक नहीं था और बटवारे के चलते ऐसी कोई सुविधा का इतनी जल्दी मिलना भी बहुत मुश्किल था।1948 में पाकिस्तानी रुपये के नए सिक्के और बैंक नोट्स प्रसारित किए गए थे।
Image Sources: Google Images
SOURCES: GULFNEWS, BBC, ONEINDIA
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