देश को अलोकतांत्रिक और असंसदीय संविधान संशोधन अधिनियम (CAA) का विरोध करते हुए दो महीने से अधिक समय हो गया है।
संविधान संशोधन अधिनियम के तहत अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का प्रावधान है।
इस तरह के कानून ने देशव्यापी विरोध का आह्वान किया है और लोग सीएए के खिलाफ असंतोष जाहिर कर रहे हैं।
हाल ही में भयावह उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भयावह हिंसा हुई जिसमें कथित तौर पर 39 लोगों के मारे जाने और इलाके में चारों ओर धारा 144 लागू होने का दावा किया गया था।
उसी के बाद उच्च न्यायालय ने कुछ प्रभावशाली वामपंथी नेताओं विरोधी दलीलों के जवाब में उनको एक नोटिस जारी किया है जो इन सीएए विरोध प्रदर्शनों में बहुत सक्रिय रहे हैं।
किसे निशाना बनाया जा रहा है?
उच्च न्यायालय ने शुक्रवार, 28 फरवरी 2020 को राष्ट्रीय राजधानी में जारी हिंसा के आसपास के मामले की जाँच करते हुए कई दलीलों को सुना।
दो न्यायाधीशों की एक पीठ, जिसमे मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर थे, ने दिल्ली के दंगों पर सुनवाई की और प्रमुख वामपंथी नेताओं के खिलाफ की गई दलीलों पर विचार किया।
राहुल गांधी, सोनिया गांधी, असदुद्दीन ओवैसी जैसे विपक्षी नेताओं और स्वरा भास्कर, आरजे सईमा, हर्ष मंदर जैसे लोकप्रिय कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया और सीएए विरोधी प्रदर्शनों के बीच हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया।
अजय गौतम द्वारा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत याचिका को आगे रखा गया था जिसमें दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगे भड़काने के लिए विपक्षी नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आग्रह किया गया था।
संजीव कुमार द्वारा एक और याचिका दायर की गई थी जिसमे कहा गया कि राष्ट्रीय हिंसा एजेंसी (एनआईए) दिल्ली हिंसा मामले की जांच का जिम्मा ले। उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ताओं हर्ष मंडेर और आरजे सईमा, स्वरा भास्कर और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
Intelligence Bureau Security Assistant Ankit Sharma's body recovered Wednesday afternoon. His body was pulled out from Chandbag drain and was identified by his father Devendra Sharma, who works for Delhi Police. #DelhiRiots @IndianExpress (His mother Sudha Sharma). pic.twitter.com/bY3TcgEY4V
— Abhishek Angad (@abhishekangad) February 26, 2020
सोशल मीडिया पर प्रदर्शित उनकी विरोधी सीएए गतिविधियों और विचारों पर दोष डाला गया था जिसके परिणामस्वरूप हिंसा भड़क गई।
स्वरा भास्कर, एक अभिनेत्री सह लोकप्रिय वामपंथी कार्यकर्ताओं को उनके सरकार विरोधी भाषणों के लिए लक्षित किया गया था।
जबकि आरजे सईमा, एक लोकप्रिय रेडियो जॉकी, जो सोशल मीडिया पर सीएए के खिलाफ सक्रिय रूप से असंतोषदिखती रहीं, को सरकार के खिलाफ लोगों को उकसाने के लिए दोषी ठहराया गया था।
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याचिका में क्या था?
अजय गौतम द्वारा दायर याचिका को अदालत कक्ष में अत्यधिक महत्व दिया गया था। इसमें संकेत दिया था कि सीएए-विरोधी प्रदर्शन वामपंथी द्वारा प्रायोजित एक साजिश है, जिसका उद्देश्य राष्ट्र में अराजकता लाना है।
उनकी दलील का एक हिस्सा इस तरह है,
“यह एक सामान्य विरोध नहीं है; यह प्रस्तुत करता है कि इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे राष्ट्र-विरोधी और हिंदू-विरोधी ताकतें हैं और कुछ निहित स्वार्थ / पक्ष / देश इन समर्थकों की योजना को पैसे दे रहे हैं। “
इतना ही नहीं, आगे वह सीएए का सूक्ष्मता से बचाव करता है और प्रदर्शनकारियों को भड़काने और हिंसा फैलाने के आरोप में सीएए विरोधी प्रदर्शनों में सक्रिय नेताओं को निशाना बनाता है।
उनकी याचिका के प्रमुख बिंदुओं में सीएए-विरोधी प्रदर्शनकारियों का निष्कासन, इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे देश-विरोधी ताकतों की जांच, वारिस पठान, असदुद्दीन ओवैसी, सलमान खुर्शीद और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज करना, प्रदर्शनकारियों के कथित उकसावे में शामिल होना और उनके खिलाफ कार्रवाई शामिल है।
परिणाम
इन याचिकाओं के परिणामस्वरूप, उच्च न्यायालय ने इन याचिकाकर्ताओं में नामित लोगों को दिल्ली हिंसा को रोकने के लिए एक नोटिस भेजा है और इसकी उच्च अधिकारियों द्वारा गहन जांच की जाएगी।
संजीव कुमार द्वारा किये गए आवेदन ने दिल्ली के दंगों में निष्कर्ष निकाला, “4 फरवरी और 25 फरवरी 2020 के बीच (दिन और समय) दिल्ली में शाहीन बाघ जैसे कई सिट-इन बनाकर सड़कों और हवाईअड्डों को अवरुद्ध करना, इस प्रकार महत्वपूर्ण सड़कों और हवाई अड्डों पर नियंत्रण रखना, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति को दिल्ली में फंसाना, एक असंभव स्थिति पैदा करना, सेना को नियंत्रण लेने के लिए मजबूर करना और उस स्थिति में, तब जब भारत पर विश्व मीडिया का ध्यान होगा, भारत को बदनाम करने की शहरी नक्सल समूह की योजना भारत को एक असफल राज्य के रूप में चित्रित करने की थी। ”
इस तरह के मजबूत दावों के कारण, दलीलों को गंभीरता से लिया गया और अदालत द्वारा तत्काल कार्रवाई की गई। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 30 अप्रैल 2020 की भी घोषित की और तब तक एक महत्वपूर्ण जांच की जाएगी।
Image credits: Google Images
Sources:India Today, Bar And Bench +others
Originally Written in English by @ZehraYameena
Translated in Hindi by @innocentlysane
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