प्रेम विवाह की अवधारणा अभी भी भारतीय समाज में व्यापक रूप से प्रचलित नहीं है। अरेंज मैरिज आज तक वैवाहिक मैच बनाने का एक अधिक स्वीकृत तरीका है जिसमें माता-पिता अपने बच्चों के भावी साथी को अपने पूर्व निर्धारित मानकों और शर्तों के आधार पर तय करते हैं और उसके बाद ही विवाह होता है।
शहरी, मेट्रो शहरों से आने वाले बच्चों के लिए लव मैरिज सेटिंग में शादी करना एक आधुनिक स्थिति माना जाता है और कुछ लोगों से पूछा जाए तो यह ‘पश्चिमी प्रभाव’ के कारण होता है।
अब, रिपोर्टों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने एक विवाह विवाद के मामले की सुनवाई करते हुए आगे टिप्पणी की कि शायद देश में तलाक की बढ़ती दर केवल प्रेम विवाह के कारण है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
17 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और संजय करोल की बेंच एक वैवाहिक विवाद से आ रही स्थानांतरण याचिका के एक मामले की सुनवाई कर रही थी और इस दौरान वकील ने कोर्ट को सूचित किया कि इसमें शामिल लोगों की शादी एक प्रेम विवाह।
इस पर जस्टिस गवई ने टिप्पणी की कि, “ज्यादातर तलाक लव मैरिज से ही हो रहे हैं।”
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न्यायाधीश ने वास्तव में इस पर आगे कोई टिप्पणी नहीं की और न ही इस बात का कोई ठोस आंकड़ा है कि यह कथन भारतीय सामाजिक परिवेश में कितना सही है।
मामले में ही कोर्ट ने मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया लेकिन जब पति ने उस सुझाव का विरोध किया तो कोर्ट ने कहा कि 1 मई 2023 को पारित एक फैसले के कारण वे उसकी सहमति के बिना भी तलाक देने के पात्र होंगे।
यह निर्णय जस्टिस एस के कौल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के आधार पर महीने की शुरुआत में लिया गया था, जिसमें संजीव खन्ना, ए एस ओका, विक्रम नाथ और जे के माहेश्वरी शामिल थे।
Image Credits: Google Images
Sources: Livemint, CNBCTV18, Bar and Bench
Originally written in English by: Chirali Sharma
Translated in Hindi by: @DamaniPragya
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