इमरान खान- प्लेबॉय से पीएम तक और पाकिस्तान में परिवर्तन से भारत पर क्या होगा असर?

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22 साल बाद, अपमान, बाधाओं और बलिदान के बाद, मेरे बेटे के पिता पाकिस्तान के अगले प्रधान मंत्री हैं। यह दृढ़ता, विश्वास और हार को स्वीकार करने से इंकार करने में एक अविश्वसनीय सबक है। चुनौती अब यह याद रखना है कि उन्होंने राजनीति में क्यों प्रवेश किया। बधाई हो।

-जेमिमा गोल्डस्मिथ (इमरान खान की पूर्व पत्नी)

क्या हुआ है?

इमरान खान, अपनी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (पी.टी.आई) के आम चुनावों में चुनाव जीतने का दावा करने के बाद, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री बनने को तैयार हैं। एक राष्ट्रपति शैली के भाषण में उन्होंने कहा,

मैं 22 साल पहले राजनीति में आया क्योंकि मुझे विश्वास है कि हमारे देश की क्षमता को महसूस नहीं किया जा रहा था।

जिस पाकिस्तान को मैंने देखा वह मेरी आंखों के सामने बिगड़ गया। मैं राजनीति में आया क्योंकि मैं चाहता था कि पाकिस्तान वह देश बन जाए जो जिन्ना ने कल्पना की थी। यह एक ऐतिहासिक चुनाव रहा है।

कप्तान से प्रधान मंत्री तक

ऑक्सफोर्ड-शिक्षित खान आज की तारीख में ऐसे एकमात्र कप्तान हैं जिन्होंने पाकिस्तान के लिए विश्व कप जीता। यह ऐतिहासिक चुनाव पाकिस्तान के इतिहास में सत्ता के दूसरे नागरिक हस्तांतरण को चिह्नित करेगा। जैसा कि अखबार द इंडिपेंडेंट  में उल्लेख किया गया है, पाकिस्तान को एक बदलाव की जरूरत है और समर्थकों का कहना था, ” हमने दूसरों को भी आज़माया है “, पूर्व प्रधान मंत्री, बेनजीर भुट्टो और नवाज शरीफ की पार्टियों का जिक्र करते हुए, “चलो इस बार इमरान को आज़माएं।”

जनता आक्रोशित थी और पनामा पेपर्स विवाद नवाज़ शरीफ की पार्टी, पी.एम.एल-एन के लिए सत्ता से जाने का पैगाम साबित हुआ। इमरान एक ईमानदार और स्वच्छ छवि के नेता का प्रतीक है जिसके कारण जनता ने इन्हे सत्ता पर बिठाने का फैसला करा।

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 चुनावों में धांधली?

चुनावों में धांधली के दावों ने चुनावी अखाड़े में अटकलें गरम रखीं। पी.पी.पी और पी.एम.एल-एन जैसे प्रमुख दलों ने इमरान खान पर आरोप लगाया के वह पाकिस्तान सेना के गोद लिए हुए बेटे जैसे हैं। वह चुनाव में सेना का सहारा लेना चाहते हैं।

“यह बहुत गलत। जिस तरह से लोगों के जनादेश का अपमान किया गया है, यह असहिष्णु है, हम इस परिणाम को पूरी तरह से अस्वीकार करते हैं, यह पाकिस्तान की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए एक बड़ा झटका है।”

-नावाज शरीफ के भाई शाहबाज़ शरीफ, पी.एम.एल-एन के नेता

भारत के लिए इसका क्या अर्थ है?

इमरान खान भारत विरोधी होने के लिए जाने जाते हैं, फिर भी उन्होंने सभी को आश्वस्त किया है कि वह संबंधों को बेहतर बनाने के लिए अपनी पूरी कोशिश करेंगे और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पड़ोसी देश के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ाएं।

दोनों देशों के बीच मतभेद के प्रमुख मुद्दों पर उन्होंने कहा, “हमारे बीच सबसे बड़ा विवाद कश्मीर के बारे में है। हमें कश्मीर के बारे में बात करने की ज़रूरत है। हम अभी भी इस मसले का कुछ नहीं कर पाए हैं। भारत बलुचिस्तान को देखता है, हम कश्मीर देखते हैं। इस छींटाकशी को रोकना है। अगर आप एक कदम बढ़ाएं तो हम दो बढ़ाने को तैयार हैं, कश्मीर की स्थिति, मानवाधिकार उल्लंघन, वहां सेना तैनात करना । कश्मीरियों ने बहुत कुछ सहन करा है और अब दोनों देशों के नेतृत्व को कोई रास्ता तलाश करना होगा।”

पर उनकी रैलियों में से एक में इमरान खान का नारा था,

“जो मोदी का यार है, वह गद्दार है।”

यह स्पष्ट है कि भारत- पाक संबंधों के मूलभूत सिद्धांत नहीं बदले जाएंगे। सेना के आदेशों पर यह निर्णय जारी रहेगा। नवाज शरीफ ने मामलों को सुलझाने की कोशिश की लेकिन असफल रहे। प्रतिष्ठान में बदलाव पाकिस्तान के लिए अच्छा हो सकता है लेकिन दोनों देशों को प्रभावित करने वाले मूलभूत सिद्धांत वही बने रहेंगे।


Sources- HT, The Wire, Independent

Images- Google


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