अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव 5 नवंबर, 2024 को आयोजित होने वाले हैं, जो महीने का पहला मंगलवार है।
हालांकि, चुनाव की तारीख़ संयोग से तय नहीं की जाती, बल्कि यह अमेरिका में एक नियम है कि राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान का दिन नवंबर महीने के पहले मंगलवार को ही होना चाहिए।
इसे “चुनाव दिवस” कहा जाता है। लेकिन यह परंपरा कैसे शुरू हुई और यह नियम क्यों है?
अमेरिका के चुनाव दिवस की कहानी
अमेरिका में हर चार साल में राष्ट्रपति चुनाव होते हैं, जो देश के सबसे ऊंचे और शक्तिशाली पद के लिए नए नेता का चयन करते हैं। हालांकि नागरिक सीधे तौर पर राष्ट्रपति के लिए मतदान करते दिखते हैं, लेकिन असल में वे अपने राज्य के “निर्वाचकों” (इलेक्टर्स) को चुनते हैं।
चुनाव दिवस का एक रोचक इतिहास है। 23 जनवरी, 1845 को कांग्रेस ने “चुनाव दिवस अधिनियम” पारित किया, जिसमें यह तय किया गया कि पूरे देश के लिए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों के लिए एक निश्चित दिन होना चाहिए।
28वीं कांग्रेस के अधिनियम में कहा गया:
“अमेरिका की कांग्रेस में सीनेट और प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित, यह तय किया गया कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचकों की नियुक्ति प्रत्येक राज्य में नवंबर महीने के पहले सोमवार के बाद वाले मंगलवार को की जाएगी…”
यह परंपरा लगभग 180 सालों से चल रही है। 1845 से पहले, राज्यों में चुनाव की तारीखें अलग-अलग होती थीं। उस समय चुनाव के लिए 34 दिनों का समय दिया जाता था, जिसके बाद दिसंबर में इलेक्टोरल कॉलेज राष्ट्रपति का चयन करता था।
नवंबर का महीना क्यों चुना गया?
नवंबर का चुनावी समय इसलिए चुना गया क्योंकि यह फसल कटाई के मौसम के बाद और सर्दियों के आने से पहले का समय होता था।
अमेरिका उस समय एक कृषि प्रधान समाज था, इसलिए चुनाव की तारीख़ किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तय की गई। वसंत (रोपाई का समय) और गर्मियों (खेत में काम) में किसान व्यस्त रहते थे। ओवरसीज वोट फाउंडेशन ने इस पर कहा, “अधिनियम पारित होने के समय अधिकांश अमेरिकी किसान थे।”
नवंबर सबसे उपयुक्त समय था। हिस्ट्री के अनुसार, “वसंत और गर्मियों की शुरुआत में चुनावों से रोपाई में बाधा पड़ती थी, और देर गर्मियों व शुरुआती पतझड़ में चुनाव फसल कटाई से टकराते थे। इससे नवंबर का देर पतझड़ का समय सबसे उपयुक्त बनता था—जब फसल कट चुकी होती थी और सर्दी की शुरुआत से पहले का समय होता था।”
यह महीना कानूनी प्रक्रिया के लिए भी अनुकूल था क्योंकि इलेक्टोरल कॉलेज दिसंबर के पहले बुधवार को राष्ट्रपति के चयन के लिए मिलता था।
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मंगलवार क्यों?
चुनाव मंगलवार को कराने का निर्णय कई कारणों पर आधारित था। इनमें से एक प्रमुख कारण यह था कि उस समय परिवहन धीमा था, और मतदान केंद्रों तक पहुंचने के लिए दूर-दराज से आने वाले लोगों को यात्रा के लिए समय चाहिए होता था।
1800 के दशक के मध्य में, वोट देने का अधिकार गैर-जमींदार 21 वर्ष से अधिक उम्र के श्वेत पुरुषों को दिया गया था, जिससे एक सुव्यवस्थित मतदान प्रक्रिया की आवश्यकता बढ़ गई।
यह भी चिंता थी कि यदि चुनाव अलग-अलग दिनों में आयोजित किए गए, तो मतदाता प्रभावित हो सकते हैं, खासकर जब रेलवे और टेलीग्राफ जैसी तकनीकों ने समाचारों के तेजी से प्रसार को संभव बना दिया था। यह तर्क दिया गया कि जिन राज्यों में बाद में चुनाव होते हैं, उनके मतदाता शुरुआती चुनावों के परिणामों से प्रभावित हो सकते हैं, जिससे चुनाव प्रक्रिया में समस्या हो सकती थी।
मंगलवार का चुनाव एक सुनियोजित निर्णय था, जो उस समय के अधिकांश मतदाताओं के ईसाई धर्म से प्रभावित था। रविवार ईसाइयों के लिए पूजा का विशेष दिन होता है, इसलिए इसे सूची से हटा दिया गया।
इसके बाद बुधवार भी हटा दिया गया क्योंकि यह कई इलाकों में बाजार का दिन होता था, जहां किसान अपनी फसल बेचने के लिए दुकानें लगाते थे। इसके अलावा, उस समय धीमी परिवहन व्यवस्था और विभिन्न स्थानों के बीच बड़ी दूरी के कारण, यात्रा के लिए कम से कम एक दिन की आवश्यकता होती थी।
इस कारण रविवार और बुधवार को यात्रा करना संभव नहीं था, और सोमवार और गुरुवार को मतदान करना भी व्यावहारिक नहीं था।
इसलिए, मंगलवार को चुनाव के लिए तय किया गया, क्योंकि यह रविवार की दिनचर्या में बाधा नहीं डालता था और सोमवार को यात्रा का समय देकर मंगलवार को मतदान करना संभव बनाता था।
नवंबर के दूसरे मंगलवार को भी इसीलिए चुना गया ताकि यह 1 नवंबर से न टकराए, जिसे ईसाई धर्म में ऑल सेंट्स डे के रूप में मनाया जाता है।
इसके अलावा, व्यापारी महीने के पहले दिन पिछले महीने के वित्तीय रिकॉर्ड को संकलित और व्यवस्थित करने के लिए उपयोग करते थे। अंततः, अमेरिका में चुनाव के लिए नवंबर के दूसरे मंगलवार को निर्धारित किया गया।
Image Credits: Google Images
Sources: The Indian Express, Livemint, Firstpost
Originally written in English by: Chirali Sharma
Translated in Hindi by Pragya Damani
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