बैक इन टाइम: आज से 40 साल पहले, प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी

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Indira Gandhi

बैक इन टाइम ईडी का अखबार जैसा कॉलम है जो अतीत की एक घटना की रिपोर्ट करता है जैसे कि यह कल ही हुआ हो। यह पाठक को कई वर्षों बाद, जिस तारीख को यह घटित हुआ था, उसे फिर से जीने की अनुमति देता है।


31 अक्टूबर 1984:

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आज उनके निवास सफदरजंग रोड, नई दिल्ली पर उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई।

भारत की “आयरन लेडी” का दिन अंग्रेज़ी डॉक्यूमेंट्री निर्माता पीटर अलेक्जेंडर उस्तीनोव के साथ शूटिंग से शुरू होने वाला था। इसके बाद इंग्लैंड के पूर्व प्रधानमंत्री जेम्स कैलाघन के साथ बैठक और फिर महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय की बेटी के साथ रात्रिभोज का कार्यक्रम था।

सुबह 9:10 बजे वह प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) जा रही थीं, जो उनके निवास के पास है, शूट के लिए। तभी एक हमलावर बींत सिंह ने उन पर गोली चलाई। दूसरे हमलावर सतवंत सिंह ने अपनी कारबाइन से उनके सीने और पेट पर 25 गोलियां दाग दीं।

उन्हें उनके सचिव आर.के. धवन और एक पुलिसकर्मी दिनेश भट्ट ने तुरंत ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट्स ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) पहुंचाया। गांधी को 9:32 बजे आपातकालीन विभाग में भर्ती किया गया, और तुरंत उनका इलाज शुरू किया गया। कई गोलियां लगने के बावजूद उनका दिल सुरक्षित था। डॉक्टरों ने उनके शरीर से गोलियां निकालीं और 80 बोतलें खून चढ़ाया। फिर भी, उन्होंने दोपहर 2:32 बजे दम तोड़ दिया।

सूत्रों के अनुसार, इन दोनों सिखों ने उनके खिलाफ ऑपरेशन ब्लू स्टार के प्रतिशोध में हत्या की। जून में प्रधानमंत्री गांधी ने भारतीय सेना को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छिपे सिख उग्रवादी नेता जरनैल सिंह भिंडरांवाले और उनके समर्थकों को हटाने का आदेश दिया था।

उग्रवादियों के पास भारी मात्रा में हथियार थे, जिससे सेना और उग्रवादियों के बीच गंभीर संघर्ष हुआ, जिसमें कई नागरिक भी हताहत हुए। 10 जून को दस दिन के इस हिंसक संघर्ष का अंत हुआ। खालिस्तान नाम के एक स्वतंत्र सिख-बहुल देश की मांग कर रहे उग्रवादियों को मार गिराया गया और सेना ने मंदिर के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया।

इस घटना की दुनिया भर के सिखों ने निंदा की, जो इसे सिख समुदाय पर गांधी का हमला मानते हैं। स्वर्ण मंदिर के कुछ भवनों को नुकसान पहुंचने से सिख समुदाय की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची।

ऑपरेशन के बाद से प्रधानमंत्री को जान से मारने की धमकियाँ मिलनी शुरू हो गई थीं। उनके सिख अंगरक्षकों को हटाने की बातें भी हो रही थीं, लेकिन उन्होंने उन पर भरोसा जताया और सोचा कि वे उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।

देशभर में हिंसक दंगे भड़क गए हैं, जिसमें सिख समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। इस हिंसा को नियंत्रित करने के लिए सेना को तैनात कर दिया गया है।


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31 अक्टूबर 2024:

उनकी मृत्यु के चार दशक बाद, भारत की तीन बार प्रधानमंत्री बनीं और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आज भी उनके द्वारा शुरू किए गए कल्याणकारी नीतियों और कार्यक्रमों के लिए स्नेह से याद किया जाता है।

एक हमलावर बींत सिंह को उसी दिन सीमा पुलिस ने ढूंढकर मार गिराया, जबकि सतवंत सिंह का मुकदमा चला और 6 जनवरी 1989 को उसे फांसी दी गई।

इस हत्या के बाद भड़की खून-खराबे वाली हिंसा में हजारों निर्दोष लोगों की जान चली गई, और यह घटना भारतीय इतिहास में एक भयानक अध्याय के रूप में अंकित हो गई।

“मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता अगर मेरा जीवन देश की सेवा में चला जाए। अगर मैं आज मर जाती हूं, तो मेरे खून की हर बूंद राष्ट्र को जीवंत करेगी,” उन्होंने अपनी मृत्यु से एक रात पहले एक राजनीतिक रैली में कहा था।

इंदिरा गांधी के पुत्र, राजीव गांधी, उनकी मृत्यु के कुछ घंटों बाद ही प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने दिसंबर 1984 के आम चुनाव में भी भारी बहुमत से जीत हासिल की। हालांकि, 1991 में एक चुनाव प्रचार के दौरान उनकी भी हत्या कर दी गई।

घटना के कुछ सप्ताह बाद राजीव गांधी ने एक राजनीतिक रैली में कहा, “हमें इंदिराजी को याद रखना चाहिए। हमें यह याद रखना चाहिए कि उनकी हत्या क्यों हुई। हमें यह भी सोचना चाहिए कि इसके पीछे कौन हो सकता है। जब इंदिराजी की हत्या हुई, तो देश में दंगे हुए। हम जानते हैं कि भारतीय जनता का दिल गुस्से से भरा हुआ था और कुछ दिनों के लिए ऐसा लगा कि भारत हिल रहा था। जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती है।”

उनकी हत्या ने न केवल देश को, बल्कि पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया। उस सुबह, प्रसिद्ध अमेरिकी टीवी शो के नियमित कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया, जिसका दर्शक वर्ग लगभग छह मिलियन था, और दो घंटे का विशेष कार्यक्रम इंदिरा गांधी के जीवन पर दिखाया गया।

तब की ब्रिटिश प्रधानमंत्री, मार्गरेट थैचर ने संसद में कहा था, “इस घृणित कृत्य ने भारत को एक महान और साहसी नेता से वंचित कर दिया है, जो जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं… हम सभी उनकी बुद्धिमानी भरी सलाह और गहरी मानवता की कमी महसूस करेंगे।”

व्हाइट हाउस के प्रवक्ता के अनुसार, उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन को सुबह 3:00 बजे जगाकर इंदिरा गांधी की हत्या के बारे में बताया गया।

उन्होंने एक लिखित बयान में कहा, “उनकी नृशंस हत्या हमें उस आतंकवादी खतरे की जीवंत याद दिलाती है जिसका सामना हम सभी कर रहे हैं। हमें इस खतरे को दूर करने के अपने संकल्प को नवीनीकृत करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रधानमंत्री गांधी की उपलब्धियां और स्मृतियाँ मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बनें।” उन्होंने भारतीय दूतावास का दौरा कर शोक पुस्तिका पर हस्ताक्षर किए और भारतीय राजदूत के.एस. बाजपेयी से मुलाकात की।

यह घटना आज भी दुख और हैरानी के साथ याद की जाती है।


Image Credits: Google Images

Sources: BBC, Fox News, Business Standard

Originally written in English by: Unusha Ahmad

Translated in Hindi by Pragya Damani

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