चाणक्य को राजनीति को नया और बहुआयामी अर्थ देने का श्रेय दिया जाता है। हमारे पास भी एक चतुर राजनीतिक रणनीतिकार है जिसे चाणक्य की संज्ञा दी जा सकती है।
वह कोई और नहीं हमारे मोटा भाई, अमित शाह हैं। भारतीय राजनीति में हाल के रुझानों का अध्ययन करने के बाद, अमित शाह को ‘आधुनिक चाणक्य’ की उपाधि से सम्मानित करना सही होगा। आप मेरे मत से असहमत हो सकते हैं पर शायद आप निम्नलिखित पढ़ने के बाद ऐसा ना सोचें।
महाराष्ट्र में क्या हुआ
हाल ही में, महाराष्ट्र के राज्य विधानसभा चुनाव हुए और भाजपा-शिवसेना के चुनाव पूर्व गठबंधन ने चुनाव जीता।शिवसेना ने कहा कि भाजपा उस शर्त का पालन नहीं कर रही है जिस पर गठबंधन बना था।
यह शर्त 2.5 साल के लिए शिवसेना के एक नेता को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने की थी।
इसके बाद, गठबंधन टूट गया और शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के पास सरकार बनाने के लिए समर्थन मांगने लगी। इस बीच, महाराष्ट्र के राज्यपाल, भगत सिंह कोशियारी ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 256 के तहत महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया।
आखिरी समय पर राज्यपाल कोशियारी ने राष्ट्रपति शासन को निलंबित कर दिया और भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने सीएम की शपथ ली, जबकि एनसीपी नेता अजीत पवार ने डिप्टी सीएम की शपथ ली।
ऐसा लग रहा था के शायद महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार बनेगी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा सरकार ने इस्तीफा दे दिया और एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना के गठबंधन ने सरकार बनायीं।
क्या हो सकती है अमित शाह की योजना?
ऐसा लग सकता है के शिवसेना के नेतृत्व में बनी सरकार भाजपा की हार है परन्तु असलियत में यह बीजेपी के लिए एक बड़ी जीत है।
कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी का गठबंधन संभवतः अल्पकालिक होगा। वैचारिक मतभेदों के अलावा, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कांग्रेस और एनसीपी किंगमेकर बन जाएंगे और अपनी मांगों को पूरा करने के लिए शिवसेना को लगातार दबाव में रखेंगे।
यदि गठबंधन आगे जाकर विफल हो जाता है फिर या तो एनसीपी नया गठबंधन बनाने के लिए भाजपा के पास आएगी या फिर से चुनाव होगा।
यदि एनसीपी भाजपा के साथ आती है तो यह भाजपा की शर्तों पर होगा। बीजेपी को एनसीपी की इच्छाओं के आगे नहीं झुकना नहीं पड़ेगा और वह शिवसेना को ख़त्म करने में भी सफल होगी।
अगर दोबारा चुनाव होते हैं तो बीजेपी शिवसेना के वैचारिक बदलाव और उसके कांग्रेस-एनसीपी के साथ जाने का पूरा फायदा उठाएगी । साथ ही, यह भाजपा-शिवसेना का गठबंधन था, जिसे महाराष्ट्र की जनता ने वोट दिया था और अकेले शिवसेना को बहुत अधिक वोट मिलने की संभावना नहीं थी।
शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस के वोट काटने का काम करेगी और बीजेपी को इसका अधिकतम लाभ मिलेगा।
अगर मेरा अनुमान सही है तो भाजपा हर स्थिति में जीतेगी। शिवसेना न केवल अपनी वैचारिक विश्वसनीयता खो देगी बल्कि अपना वोटबैंक और राजनीतिक ताकत भी।
Image Source: Google Images
Sources: Times of India, Economic Times, India Today
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