पिछले कुछ दिनों में कई बार मीडिया पर सुशांत के केस को खेंचने और ज़रूरी मुद्दों पर ध्यान ना देने का आरोप लगाया है। 

और उन्होंने राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे – मध्यप्रदेश में बाढ़, पर अभी तक गौर नहीं करा है।

मध्य प्रदेश डूब रहा है 

28 और 29 अगस्त को भारी बारिश के कारण मध्य प्रदेश के 12 जिलों के अनुमानित 454 गाँव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। होशंगाबाद, रायसेन, सीहोर, भोपाल, विदिशा, छिंदवाड़ा, बालाघाट, सिवनी, कटनी, सागर, शिवपुरी, और उज्जैन जिले प्रभावित हुए हैं।

31 अगस्त, 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम 24 लोगों की मौत की आशंका है, जिसमे 7 बच्चे भी शामिल थे। शनिवार को कटनी जिले में एक दीवार गिर गयी जिसके नीचे कुचलने से 4 से 9 साल की उम्र के चार बच्चों की मौत हो गयी। 

राज्य ने बचाव अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए भारतीय सेना से मदद मांगी। भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना (IAF), और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के समर्पित और संयुक्त प्रयासों से 31 अगस्त तक करीब 11,000 लोगों को निकाला गया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रधान सचिव मनीष रस्तोगी ने बताया कि सेना के जवान और एनडीआरएफ की नावों और अन्य गियर के साथ बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चला रहे थे। कई स्थानों पर एयरलिफ्ट का परिचालन जारी है।


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महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, और ओडिशा में भी कुछ क्षेत्र इसी तरह के भाग्य से गुजर रहे हैं, जहां कई गाँव बाढ़ के प्रकोप से जूझ रहे हैं।

इसके लिए किसे दोषी ठहराया जाए?

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने महाराष्ट्र और एमपी के सम्मानित अधिकारियों के बीच खराब समन्वय पर चिंता जताई है, जिसके परिणामस्वरूप दोनों राज्यों में बड़े पैमाने पर बाढ़ आई।

लगातार बारिश के कारण बांधों से पानी ओवरफ्लो हो गया, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ आ गई। सड़क संपर्क गंभीर रूप से प्रभावित हुआ क्योंकि पुल और पुलिया कई स्थानों पर पानी में डूब गए।

एमपी के अधिकारियों को महाराष्ट्र की ओर अतिरिक्त पानी का निर्वहन करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ आ गई।

फड़नवीस ने कहा “मध्य प्रदेश सरकार के साथ समन्वय का अभाव इस खतरनाक स्थिति का कारण बना। राज्य को मप्र सरकार के साथ समन्वय करना चाहिए था। इसने शुरुआती अलर्ट जारी करने में मदद की होती।” उनका मानना ​​है कि “एनडीआरएफ को कॉल करने में देरी के कारण अधिक नुकसान हुआ।”

हालांकि अगर बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जाता तो हालत बेहतर हो सकते थे, फिर भी यह देखना चौंकाने वाला है कि मुख्यधारा का मीडिया इस पर शायद ही कोई रोशनी डाल रहा है। कई राज्यों के बुरी तरह प्रभावित होने और एक हज़ार जानें खतरे में होने के कारण, यह उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।


Sources: Hindustan Times, Times of India, The Week + more

Image Credits: Google Images

Originally Written In English By: @TinaGarg18

Translated in Hindi By: @innocentlysane

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