Saturday, February 15, 2025
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नए शोध से पता चलता है कि भारतीय मुस्लिम महिलाओं को भर्ती प्रक्रिया के दौरान भेदभाव का सामना कैसे करना पड़ता है

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नए शोध से पता चलता है कि कैसे भारतीय मुस्लिम महिलाओं को भर्ती प्रक्रिया के दौरान भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

लेडबी फाउंडेशन द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, जब विभिन्न उद्योगों में प्रवेश स्तर की नौकरियों की बात आती है तो मुस्लिम महिलाओं को गैर-मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ अनुचित नुकसान होता है।

फाउंडेशन की संस्थापक- डॉ रूहा शादा ने कहा कि इस अध्ययन की प्रेरणा कार्यबल में शामिल होने की कोशिश करते समय मुस्लिम महिलाओं को अनुचित भेदभाव का सामना करने की कई अपुष्ट कहानियों को सुनने से हुई थी।

अध्ययन के परिणाम ने इन उपाख्यानात्मक कहानियों को कठोर तथ्य प्रदान किए हैं जो पुष्टि करते हैं कि यह काफी सच है। यह डेटा अब उन लोगों तक ले जाया जा सकता है जिनके पास हमारी साथी मुस्लिम बहनों के साथ इस अनुचित व्यवहार के लिए सुधारात्मक कार्रवाई को लागू करने की शक्ति है।


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जहां प्रियंका को कई कॉल बैक मिले, वहीं हबीबा को केवल एक फॉलो अप कॉल मिला। यह भी पाया गया कि प्रियंका के मामले में भर्ती करने वाले अधिक सौहार्दपूर्ण व्यवहार करते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अध्ययन के परिणाम सांख्यिकीय रूप से काफी महत्वपूर्ण थे, यह इंगित करने के लिए कि मुस्लिम महिलाओं को बिना किसी कारण के नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए बहुत सारे बंद दरवाजे का सामना करना पड़ता है।

टीमलीज की सह-संस्थापक और कार्यकारी निदेशक ऋतुपर्णा चक्रवर्ती का कहना है कि उन्हें अभी तक निजी क्षेत्र में ऐसी कोई घटना नहीं मिली है। चक्रवर्ती इस विचार का भी मनोरंजन करते हैं कि नमूना आबादी को अलग तरीके से चुना जा सकता था जिससे संभवतः अलग-अलग परिणाम भी हो सकते थे।


Image Credits: Google Images

Sources: The Swaddle, The Print, Business Standard

Originally written in English by: Sreemayee Nandy

Translated in Hindi by: @DamaniPragya

This post is tagged under: hiring bias, new study, research, discrimination, job, pay, muslim women, india

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Pragya Damani
Pragya Damanihttps://edtimes.in/
Blogger at ED Times; procrastinator and overthinker in spare time.

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