Saturday, May 24, 2025
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क्या मच्छरों से होने वाला डेंगू मच्छरों से लड़ा जा सकता है?

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वे कहते हैं, ‘अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाएं और आप अजेय हैं।’ यह कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों और श्रृंखलाओं की साजिश भी है। शायद आप समेत आपके आसपास के कई लोगों ने भी ऐसा किया होगा। लेकिन, किसने सोचा था कि इस दर्शन को मच्छरों की दुनिया तक बढ़ाया जा सकता है?

इंडोनेशिया के वैज्ञानिकों ने यही हासिल किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, हर साल लगभग 400 मिलियन लोग हर साल डेंगू से प्रभावित होते हैं। अधिकांश बोझ एशियाई लोगों द्वारा पैदा किया जाता है।

डब्लूएचओ के अनुसार, पिछले 2 दशकों में डेंगू के मामले आठ गुना बढ़े हैं (हालाँकि मामलों में वृद्धि का श्रेय बीमारियों के निदान और मानचित्रण के लिए बेहतर तकनीक को भी दिया जाता है)। दुनिया की लगभग आधी आबादी पर अब इस घातक बीमारी के चपेट में आने का खतरा है। 2019 में डब्ल्यूएचओ के सभी देशों में डेंगू के मामले सामने आए, जो चिंता का विषय है।

डेंगू के कारण और उपचार

डेंगू एडीज एजिप्टी प्रजाति के मादा मच्छरों से होता है। वे चिकनगुनिया, पीला बुखार और जीका के प्रसार के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये मच्छर जमा हुए पानी में पैदा होते हैं, और इसलिए इस बीमारी को रोकने के लिए, आप जो सबसे अच्छा उपाय कर सकते हैं, वह यह है कि कभी भी अपने घर के आस-पास पानी जमा न होने दें।

इसके लक्षणों में बुखार, थकान, जोड़ों में दर्द और रैशेज शामिल हैं। इसका कोई समर्पित इलाज नहीं है, लेकिन बुखार और दर्द को कम करने के लिए रोगियों को पेरासिटामोल जैसी दर्द निवारक दवाएं लेने की सलाह दी जाती है।


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मच्छर अब डेंगू से निपटने में मदद कर सकते हैं

इंडोनेशिया में शोधकर्ताओं ने उस लैब में मच्छरों को सफलतापूर्वक पैदा किया है जो डेंगू से निपटने में मदद कर सकते हैं। लैब-नस्ल के मच्छरों में वल्बाचिया बैक्टीरिया होते हैं। यह आमतौर पर कई मच्छरों, पतंगों और मक्खियों में पाया जाने वाला बैक्टीरिया है।

हालांकि, एडीज एजिप्टी प्रजाति में यह शामिल नहीं है, जैसा कि वर्ल्ड मॉस्किटो प्रोग्राम (डब्ल्यूएमपी) द्वारा किए गए शोध में पाया गया है। इसलिए, शोधकर्ताओं ने इस बैक्टीरिया को प्रजाति के नर मच्छरों में डाला।

अब, वे मादा मच्छरों (जिनमें डेंगू होता है) के साथ संभोग करते हैं। संभोग के बाद रखे गए अंडे कभी नहीं निकलते हैं। इससे डेंगू फैलाने वाले बुरे मच्छरों की संख्या कम हो जाती है।

भले ही वल्बाचिया से संक्रमित मच्छर इंसानों को काट लें, लेकिन बाद वाले प्रभावित नहीं होते हैं। यह डेंगू से लड़ने के लिए एक आशाजनक तकनीक साबित हुई है। जब इन मच्छरों को इंडोनेशियाई शहर योग्याकार्ता में ‘रेड जोन’ (संक्रमण से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों) में छोड़ा गया, तो डेंगू के संक्रमण में 77% और अस्पताल में भर्ती होने में 86% की कमी आई।

इस तकनीक को अन्य रोग पैदा करने वाले मच्छरों तक भी बढ़ाया जा सकता है।

तो समस्या में ही समाधान मिल गया। रोगग्रस्त प्रजातियां अब रोग-निवारक होंगी। यह विज्ञान की जीत नहीं तो और क्या है?


Sources: The Hindu, World Health Organization, Reuters

Image Sources: Google Images

Originally written in English by: Tina Garg

Translated in Hindi by: @DamaniPragya

This post is tagged under: mosquitoes, dengue, Aedes aegypti, zika virus, chikungunya, yellow fever, fever, fatigue, blood platelets, symptoms of dengue, causes of dengue, carrier of dengue, treatment for dengue, weakness becomes strength, indonesia scientists, Wolbachia bacteria, epidemic, good mosquitoes


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Pragya Damani
Pragya Damanihttps://edtimes.in/
Blogger at ED Times; procrastinator and overthinker in spare time.

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